*शनि सेवा सदन के प्रमुख परविंदर भाटिया जी: सेवा और समर्पण की अनूठी मिसाल*
सुबह से शाम तक: एक दिन में कई जिंदगियों को संवारने का संकल्प


**शनि सेवा सदन के प्रमुख परविंदर भाटिया जी: सेवा और समर्पण की अनूठी मिसाल**

पालमपुर 20 मार्च :
आज के समय में जहां हर व्यक्ति अपनी व्यस्तता और व्यक्तिगत जीवन में उलझा हुआ है, वहीं शनि सेवा सदन के प्रमुख परविंदर भाटिया जी सेवा और मानवता की एक अद्भुत मिसाल पेश कर रहे हैं। उनकी दिनचर्या और समर्पण किसी आम इंसान की सीमाओं से कहीं ऊपर है। वे न केवल अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे हैं, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी बखूबी निभा रहे हैं।
आजकल भाटिया जी बेहद व्यस्त हैं। उनके दो समर्थक और आशीर्वादकर्ता अस्पताल में भर्ती हैं, और उनकी देखभाल का पूरा भार भाटिया जी ने अपने कंधों पर ले रखा है। दवाइयों का इंतजाम, खाने-पीने की व्यवस्था, और यहां तक कि ब्लड डोनेशन का प्रबंधन भी वे स्वयं कर रहे हैं। यह कोई छोटा काम नहीं है, लेकिन भाटिया जी इसे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभा रहे हैं।
आज सुबह से ही वे भवारना के नरेंद्र सूद जी के ऑपरेशन के लिए दत्तल हॉस्पिटल, ठाकुरद्वारा में व्यस्त थे। इस बीच, उन्हें सुघ्घर घर में एक व्यक्ति की मृत्यु का समाचार मिला। बिना समय गंवाए, उन्होंने शव वाहन का इंतजाम किया और फिर दोपहर में ब्लड बैंक से ब्लड का प्रबंधन करने पहुंचे। इसके बाद वे राणा हॉस्पिटल में अपनी माताजी से मिलने गए, जो पिछले तीन हफ्तों से वहां भर्ती हैं। फिर वे ठाकुरद्वारा लौटे, नरेंद्र जी का हाल-चाल जाना और उनकी दवाइयों का इंतजाम किया।
शाम को 5:00 बजे वे वापस आए, लेकिन उनकी सेवा यहीं खत्म नहीं हुई। शाम 7:00 बजे वे फिर से ठाकुरद्वारा गए और वापसी में राणा हॉस्पिटल भी गए। इस बीच, दोपहर को 12:00 बजे उन्हें देहन में एक गाय के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिली। वे तुरंत वहां पहुंचे, चोटिल गाय की देखभाल की और फिर अपने कारोबार को संभाला।
यह सब करते हुए भाटिया जी ने यह साबित कर दिया कि वे सिर्फ एक संगठन के प्रमुख नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति हैं जो मानवता और सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं। उनकी यह निस्वार्थ सेवा और समर्पण हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
परविंदर भाटिया जी का जीवन हमें सिखाता है कि सेवा और मानवता सबसे बड़ा धर्म है। उनकी यह निस्वार्थ भावना और समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हमें उनके जैसे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए। भाटिया जी, आपकी सेवा और समर्पण के लिए आपको सलाम!
