*Palampur विक्रम बत्रा मैदान से बेंच हटाने व देवदार के पौधे समाप्त करने पर लोगों में भारी आक्रोश*


*Palampur विक्रम बत्रा मैदान से बेंच हटाने व देवदार के पौधे समाप्त करने पर लोगों में भारी आक्रोश*

शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा मैदान, पालमपुर में मेन सड़क की तरफ से बेंच हटाकर वहाँ टाइलें बिछा दी गई हैं तथा आगे मोटी-मोटी पाइपों की रेलिंग लगा दी गई है। यह कार्य त्वरित गति से किया गया, लेकिन इसी जगह पर पहले देवदार के पौधे लगाए गए थे। ये पौधे धौलाधार एनवायरनमेंट तथा रोटरी आदि संस्थाओं द्वारा लगाए गए थे उन पेड़ों को भी वहाँ से हटा दिया गया और बेंच भी हटा दिए गए। जिस पर बैठकर लोग आराम करते थे खेलकूद तथा बच्चों की क्रीड़ाओं का आनंद लेते थे।
अब जो थोड़ा-सा स्पेस बचा है, उस पर लोग अपनी गाड़ियाँ खड़ी कर रहे हैं। लोगों को मैदान में हो रहे इवेंट्स को देखने के लिए बैठने की जगह नहीं मिल पा रही।
कुछ वरिष्ठ नागरिक और महिलाएँ वहाँ आकर बैठते थे, प्रकृति का नज़ारा लेते थे वहां पर हो रहे खेलों तथा बच्चों के इवेंट्स देखते थे। सुबह-सुबह कुछ लोग उन बेंचों पर बैठकर योग भी करते थे, परंतु अब उन्हें वहाँ से हटा दिया गया है।
कल शाम को वहाँ के शेल्टर में बैठे पाँच-छह वरिष्ठ नागरिकों से बात हुई। उन्होंने इस बात की नाराज़गी जताई कि यहाँ शाम को वॉलीबॉल के मैच होते थे और दिन में बच्चे खेलते थे, तो लोग बेंचों पर बैठकर खेल का आनंद लेते थे। लेकिन न जाने क्यों उन बेंचों को क्यों हटा दिया गया और अच्छी-खासी खुली जगह को खराब करके पार्किंग में बदल दिया गया। उनका कहना था कि होना तो यह चाहिए था कि यहाँ ग्रीन एरिया बनाया जाता, ताकि लोग हरियाली का मज़ा ले सकते या शांति के कुछ पल बिता सकते। पूर्व काउंसलर यश महाजन ने कहा कि यह अविवेक पूर्ण निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि नगर निगम का यह तर्क हो सकता है कि नीचे स्टेडियम की सीढ़ियां बनी हुई है लेकिन स्टेडियम में उतरने के लिए जो स्टेप्स बने हैं वह बहुत ऊंचे तथा आम आदमी के बस की बात नहीं की स्टेडियम के स्टेप्स पर जाकर बैठ जाए। इसी तरह के व्यंगात्मक विचार राजेश बंटा सुमित वर्मा तथा सुरेश कुमार के भी थे।
जो देवदार के पेड़ थे, उन्हें वहाँ से हटा दिया गया और नए पेड़ लगाने की बजाय पहले से लगे पेड़ों को भी समाप्त कर दिया गया। आज से कुछ वर्ष पहले यहाँ पर बहुत सुंदर देवदार के पेड़ हुआ करते थे, जो इस मैदान की शोभा बढ़ाते थे। समय के साथ वह सूख गए तथा धौलाधार एनवायरनमेंट संस्थान द्वारा यहाँ नए पौधों का पौधारोपण किया गया । हैरानी की बात यह है कि उन पौधों को भी वहां से हटा दिया गया । उन लोगों ने सुझाव दिया कि अगर मैदान के चारों ओर कुछ ऐसे पेड़ लगाए जाते जो न तो खेल में बाधक बनते और न ही दृश्य को ढकते, तो नगर निगम की तारीफ़ होती। लेकिन वास्तव में नगर निगम द्वारा कुछ ऐसे फैसले लिए जाते हैं, जिनका नकारात्मक असर सीधे जन प्रतिनिधियों पर पड़ता है, क्योंकि जनता के पास इन निर्णयों का विरोध करने का कोई साधन नहीं है। समय नही है ।
निगम को यह सोचना चाहिए था कि बेंच और पेड़ हटाने के बाद लोगों में जो नाराज़गी फैलेगी, उसका प्रभाव स्थानीय प्रतिनिधियों पर ही पड़ सकता है।
वर्षों का साथ दशकों का विश्वास बुद्धा मल ज्वेलर्स पालमपुर
