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*पालमपुर में आवारा पशुओं और कुत्तों का आतंक – नागरिकों की सुरक्षा पर खतरा*

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पालमपुर में आवारा पशुओं और कुत्तों का आतंक – नागरिकों की सुरक्षा पर खतरा

Tct ,bksood, chief editor

पालमपुर, 8 अप्रैल – हरे-भरे और शांत माने जाने वाले पालमपुर शहर में इन दिनों आम नागरिकों का जीवन कठिन होता जा रहा है। सड़कों पर दिन-ब-दिन बढ़ती आवारा पशुओं और कुत्तों की संख्या से लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। घुग्गर, कालू दी हट्टी, यूनिवर्सिटी-चढ़ियार रोड से लेकर बन्दला तक लगभग हर सड़क पर भारी-भरकम सांड, बैल और आक्रामक आवारा कुत्ते खुलेआम घूमते दिखाई देते हैं।

स्थानीय निवासियों और दुकानदारों का कहना है कि इन जानवरों की हालिया ‘आमद’ ने मानो शहर को बंधक बना लिया हो। एक तरफ जहां ये जानवर ट्रैफिक के लिए बड़ी बाधा बने हुए हैं, वहीं दूसरी ओर पैदल चलना भी जोखिम भरा हो गया है। “इतने बड़े-बड़े सांड हैं कि उनके सींग देखकर अच्छे-खासे इंसान की रूह कांप जाए,” एक स्थानीय महिला दुकानदार ने बताया। “बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सबसे अधिक असुरक्षित महसूस करते हैं।”

आवारा कुत्तों की समस्या भी कम गंभीर नहीं है। आए दिन किसी न किसी मोहल्ले से यह खबर आती है कि किसी राहगीर पर कुत्तों ने हमला कर दिया। सुबह-सवेरे सैर को निकलने वाले बुजुर्ग हों या स्कूल जाते बच्चे – कोई भी इन कुत्तों की आक्रामकता से नहीं बच पा रहा है।

यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर और प्रशासन के सेवानिवृत्त अधिकारियों समेत कई बुजुर्गों ने बताया कि वे सुबह की सैर करने से डर रहे हैं। एक पूर्व प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सड़क पर निकलते ही बैलों के सींग और कुत्तों के झपट्टे का डर सताता है। कल तक जहां हम नियमित टहलते थे, वहां अब जान जोखिम में लगती है।” वहीं, एक पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, “प्रशासन को इन आवारा जानवरों को नियंत्रित करने के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए। यह सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि स्वच्छता का भी मुद्दा है।”

दुकानदारों पर दोहरी मार

मेन बाजार पालमपुर में स्थिति और भी चिंताजनक है। सब्जी विक्रेता, किराना दुकानदार और छोटे खानपान स्टॉल मालिक कहते हैं कि आवारा जानवर उनके व्यवसाय पर कहर बनकर टूट रहे हैं। “कभी भी कोई बैल आकर सब्जी के ठेले में मुंह डाल देता है। अगर भगाने की कोशिश करो तो दौड़ा लेता है,” एक सब्जी विक्रेता ने बताया। हाल ही में वालिया क्लॉथ हाउस के मालिक को एक बैल ने जोरदार टक्कर मारने की कोशिश की, जबकि पिछले वर्ष जॉय रेस्टोरेंट के मालिक गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।

प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब इस विषय को उठाया गया हो। पूर्व नगर परिषद सदस्य यश महाजन ने बताया कि कई बार प्रशासन और संबंधित विभागों को जानकारी दी गई, परन्तु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

पूर्व नगर परिषद सदस्य यश महाजन ने यह भी कहा, “हमने कई बार शिकायत की, लेकिन न तो पशु नियंत्रण टीम सक्रिय हुई और न ही कुत्तों को पकड़ने की कोई कोशिश।”

एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी, जो अब नियमित मॉर्निंग वॉक पर नहीं जा पाते, ने कहा – “अब तो घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है।”

सवाल ये है कि जिम्मेदारी किसकी है?

क्या नगर निगम प्रशासन इस समस्या के प्रति संवेदनशील नहीं है? या फिर पशुपालन विभाग को इस विषय में हस्तक्षेप करना चाहिए? यह स्पष्ट नहीं है कि किस विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी बनती है इन जानवरों के निस्तारण की। नागरिक पूछ रहे हैं – “हम हर साल टैक्स भरते हैं, लेकिन बदले में हमें क्या मिलता है – सांड, बैल और कुत्तों का आतंक?”

टूरिस्ट सीजन में खतरा और बढ़ेगा

गौरतलब है कि पालमपुर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और आगामी महीनों में भारी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचने वाले हैं। यदि समय रहते इन जानवरों को नियंत्रित नहीं किया गया तो कोई भी अप्रिय दुर्घटना पालमपुर की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।

अब देखना यह है कि प्रशासन जागता है या नहीं। क्या यह मामला फिर किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार करेगा या पहले ही कोई ठोस कदम उठाया जाएगा?

 

 

 

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