*वायरल वीडियो वाली खबर, पालमपुर के लोग कर रहे SHO भूपेंद्र सिंह का समर्थन*


: वायरल वीडियो वाली खबर, पालमपुर के लोग कर रहे SHO भूपेंद्र सिंह का समर्थन,

पालमपुर SHO भूपेंद्र सिंह का वायरल वीडियो बना चर्चा का विषय, पुलिस कार्यशैली और मीडिया की भूमिका पर छिड़ी बहस
पालमपुर (कांगड़ा)। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक पुराने वीडियो ने हिमाचल प्रदेश पुलिस, खासतौर पर पालमपुर के SHO भूपेंद्र सिंह को सुर्खियों में ला दिया है। वीडियो में भूपेंद्र सिंह सादे कपड़ों में एक बाइकर से पूछताछ करते नजर आ रहे हैं। इसे लेकर जहां कुछ लोग पुलिस कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं बड़ी संख्या में लोग SHO के समर्थन में भी सामने आए हैं।
भूपेंद्र सिंह ने इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि यह अप्रैल-मई 2024 का मामला है। उस समय उन्होंने एक बाइक सवार को रोका था, जिसकी बाइक बिना नंबर प्लेट के थी और जिसका चालान भी किया गया था। उन्होंने बताया कि वीडियो को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। रोके गए युवक पर बाद में चिट्टा तस्करी का मामला भी दर्ज हुआ था, हालांकि उस दिन उसके पास से कुछ बरामद नहीं हुआ था।
बैजनाथ के डीएसपी अनिल शर्मा ने भी पुष्टि की कि इस वीडियो की जानकारी उनके संज्ञान में है। उन्होंने कहा कि अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई है, लेकिन यदि युवक की सही पहचान होती है तो आगे जांच की जाएगी।
SHO भूपेंद्र सिंह ने सादी वर्दी में कार्रवाई करने पर उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि नशा तस्करों को पकड़ने के लिए पुलिस को कई बार सादी वर्दी में काम करना पड़ता है ताकि अपराधी सतर्क न हो सकें। वर्तमान में वह पालमपुर थाने में SHO के पद पर कार्यरत हैं और वहां भी नशा विरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
समर्थन में उतरे वरिष्ठ पत्रकार
पालमपुर के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र सूद ने भूपेंद्र सिंह के समर्थन में बयान देते हुए कहा, “भूपेंद्र सिंह एक ईमानदार, मेहनती और जुझारू पुलिस अधिकारी हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अनेक जटिल मामलों को सुलझाया है, जिनमें ब्लाइंड मर्डर केस से लेकर बड़े ड्रग्स नेटवर्क का भंडाफोड़ शामिल है। बिलासपुर, मनाली और पालमपुर जैसे संवेदनशील इलाकों में सेवा के दौरान उन्होंने 100 किलो से अधिक चरस और भारी मात्रा में चिट्टा बरामद किया।”
उन्होंने कहा कि भूपेंद्र सिंह की कार्यशैली सख्त जरूर है, लेकिन समाज से नशे जैसी विकृति को मिटाने के लिए ऐसी दृढ़ता आवश्यक है।
पुलिस सुधार और मीडिया की जिम्मेदारी
इस घटनाक्रम ने एक व्यापक बहस को जन्म दिया है कि पुलिस को नशा विरोधी अभियानों में किस हद तक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए और मीडिया को किस तरह से जिम्मेदारीपूर्वक रिपोर्टिंग करनी चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस को सादी वर्दी में कार्य करना कोई नई बात नहीं है। अपराधों की रोकथाम और बड़ी साजिशों को भेदने के लिए कभी-कभी पहचान छुपाकर काम करना जरूरी हो जाता है। वहीं, मीडिया से अपेक्षा की जाती है कि वह किसी भी वायरल वीडियो या जानकारी को प्रसारित करने से पहले पूरी पड़ताल करे, ताकि जनता को वस्तुनिष्ठ और संतुलित सूचना मिल सके।
गलत सूचना या अधूरी रिपोर्टिंग न केवल किसी अधिकारी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है, बल्कि पुलिस बल के मनोबल पर भी विपरीत प्रभाव डाल सकती है। इसलिए आवश्यक है कि रिपोर्टिंग में तथ्यों की पुष्टि के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाए।
भूपेंद्र सिंह हिमाचल प्रदेश पुलिस के उन अफसरों में गिने जाते हैं, जिन्होंने नशा विरोधी अभियानों में अपनी कड़ी मेहनत और ईमानदारी से पहचान बनाई है। मूल रूप से मंडी जिले से संबंध रखने वाले भूपेंद्र सिंह ने ज्वालामुखी थाने में करियर की शुरुआत की थी। वे लगातार पदौन्नत होते हुए विभिन्न जिलों के प्रमुख थानों में SHO के पद पर पहुंचे। उन्होंने बिलासपुर, मनाली और पालमपुर जैसे इलाकों में कार्य करते हुए कई बड़े ड्रग्स सिंडिकेट्स का भंडाफोड़ किया और क्षेत्र में अपराध दर में कमी लाने में योगदान दिया।
भूपेंद्र सिंह की रणनीति में सख्ती के साथ-साथ संवेदनशीलता भी शामिल है। वे अपराधियों के खिलाफ जहां कठोर रवैया अपनाते हैं, वहीं आम नागरिकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार पर भी बल देते हैं।
पालमपुर में उनकी तैनाती के बाद से महिला सुरक्षा, सड़क सुरक्षा और साइबर क्राइम के मामलों में भी जागरूकता अभियानों में तेजी आई है।