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*परौर (पालमपुर) में बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों जी व  वर्तमान प्रमुख (पराम्रमुख) जसदीप सिंह गिल  का आगमन: राधा स्वामी सत्संग का दिव्य अवसर*

राधा स्वामी मत की प्रमुख शिक्षा है, "अपने भीतर के प्रकाश और ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करके, एक जीवित गुरु के मार्गदर्शन में, आत्मा को परमात्मा से जोड़ना"।

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परौर (पालमपुर) में बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों जी व  वर्तमान प्रमुख (पराम्रमुख) जसदीप सिंह गिल  का आगमन: राधा स्वामी सत्संग का दिव्य अवसर

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हिमाचल की सुरम्य वादियों में स्थित परौर, पालमपुर आज एक पावन ऊर्जा से ओतप्रोत हो उठा है क्योंकि राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख, श्रद्धेय बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों जी व वर्तमान प्रमुख (पराम्रमुख) जसदीप सिंह गिल अपने ग्रीष्मकालीन प्रवास के अंतर्गत यहाँ पधार चुके हैं। यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि हजारों श्रद्धालुओं के लिए एक ऐसा शुभ अवसर है जिसमें आत्मिक उन्नति, ईश्वर से जुड़ाव और सच्चे प्रेम की अनुभूति होती है।

जैसे ही बाबा जी परौर के सत्संग स्थल पर पहुँचे, पूरा वातावरण भक्ति भाव से भर गया। दूर-दराज़ से श्रद्धालु हिमाचल के इस शांत कोने में केवल एक ही उद्देश्य से पहुँचे हैं — बाबा जी के दर्शन, सत्संग और आशीर्वाद। इस अलौकिक अवसर का लाभ उठाने के लिए भक्तों की भीड़ लगातार सत्संग परिसर की ओर बढ़ रही है। भीड़ में कोई पहली बार आया हुआ नौजवान है, कोई वर्षों से ध्यान कर रहा बुज़ुर्ग, कोई प्रश्नों से भरा हुआ है तो कोई मौन में उत्तर खोज रहा है।

राधा स्वामी सत्संग, जिसकी स्थापना आत्मिक शांति, सेवा, और अंतर्मुखी साधना के मूल सिद्धांतों पर आधारित है, आज लाखों लोगों को आध्यात्मिक मार्ग पर ले जा रहा है। यहाँ धर्म, जाति, भाषा या वर्ग की कोई बाधा नहीं—हर वह व्यक्ति जो ईश्वर को भीतर खोजना चाहता है, उसका खुले दिल से स्वागत है। बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों जी का संदेश अत्यंत सरल और प्रभावशाली होता है—“परमात्मा कहीं बाहर नहीं, हमारे ही भीतर है; बस ध्यान, सेवा और सुमिरन के माध्यम से उसे अनुभव करना है।”

परौर (पालमपुर) का यह सत्संग केंद्र वर्षों से भक्तों की साधना का केंद्र रहा है, लेकिन बाबा जी की प्रत्यक्ष उपस्थिति इसे एक विशिष्ट ऊँचाई देती है। उनके प्रवचनों में न कोई शोर है, न कोई दिखावा—केवल मौन की शक्ति, प्रेम की भाषा और सत्य की सीधी राह है। जब वे बोलते हैं, तो ऐसा लगता है मानो आत्मा को उसकी ही भाषा में पुकारा जा रहा हो।

यह सत्संग न तो किसी धर्मांतरण का प्रयास है, न कोई प्रचार अभियान—यह आत्मा को उसके स्रोत से जोड़ने की प्रक्रिया है। बाबा जी न किसी के अनुयायी बनते हैं, न किसी को अनुयायी बनने के लिए बाध्य करते हैं। वे केवल यह कहते हैं कि सच्चा प्रेम, सच्ची सेवा और सच्चा ध्यान ही आत्मा की मुक्ति का मार्ग है।

जो भी श्रद्धालु इस दुर्लभ अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं, वे परौर, पालमपुर स्थित सत्संग स्थल पर पहुँच सकते हैं। यहाँ आवास, भोजन, शौचालय, चिकित्सा आदि की निशुल्क व्यवस्थाएँ सेवा भाव से उपलब्ध हैं। कोई पंजीकरण, कोई शुल्क नहीं—केवल शुद्ध भावना, शांत चित्त और सच्चे प्रेम के साथ बाबा जी के सान्निध्य में आने की आवश्यकता है।

बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों जी का जीवन स्वयं एक आदर्श है—सादा जीवन, उच्च विचार, और गहन साधना। उनकी एक झलक पाने के लिए, उनके मौन में छिपी करुणा को अनुभव करने के लिए, और उनके प्रवचनों से आत्मा को जागृत करने के लिए श्रद्धालु वर्ष भर प्रतीक्षा करते हैं।

और अब जब वे हिमाचल के इस पवित्र स्थल परौर, पालमपुर में स्वयं उपस्थित हैं, यह समय केवल एक सत्संग नहीं बल्कि जीवन को बदल देने वाली अनुभूति बन सकता है।

राधा स्वामी।

बी के सूद
chief editor

 

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