पालमपुर सिविल अस्पताल में टोकन सिस्टम की ज़रूरत — टेस्ट और दवा की लंबी लाइनों से राहत दिला सकता है यह कदम।


पालमपुर सिविल अस्पताल में टोकन सिस्टम की ज़रूरत महसूस की गई है — टेस्ट और दवा की लंबी लाइनों से राहत दिला सकता है यह कदम।

मरीजों का सुझाव: जब अस्पताल को प्रदेश में पहला पुरस्कार मिला है, तो अब व्यवस्थाएं और बेहतर हों; टोकन सिस्टम से भीड़ कम होगी, मरीज आराम से बैठकर अपनी बारी का इंतज़ार कर सकेंगे, खासकर बुजुर्गों और गंभीर रोगियों को मिलेगी बड़ी राहत
पालमपुर | हाल ही में पालमपुर सिविल अस्पताल ने पूरे हिमाचल प्रदेश में अपनी बेहतरीन सेवाओं और प्रबंधन के लिए पहला स्थान हासिल किया है। इस सम्मान के साथ अस्पताल को 35 लाख रुपये की पुरस्कार राशि भी प्राप्त हुई है। यह उपलब्धि न केवल पालमपुर क्षेत्र के लिए गर्व की बात है, बल्कि प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल भी बनी है।
अस्पताल में डॉक्टरों की निष्ठा, सफाई व्यवस्था और मरीजों के प्रति संवेदनशीलता की खूब सराहना हो रही है। हर दिन सैकड़ों की संख्या में मरीज अस्पताल पहुंचते हैं और सेवाओं का लाभ उठाते हैं। परंतु बढ़ती भीड़ के बीच कुछ व्यवहारिक समस्याएं भी सामने आ रही हैं — खासकर पैथोलॉजी टेस्ट और दवा वितरण काउंटरों पर लगने वाली लंबी कतारें।
कई मरीजों का कहना है कि डॉक्टर टेस्ट लिख देते हैं, लेकिन जब वे टेस्ट करवाने पहुंचते हैं, तो वहां पहले से लंबी लाइन लगी होती है। कई बार दो-दो घंटे तक खड़ा रहना पड़ता है। बुजुर्ग मरीज, महिलाएं और गंभीर रोग से पीड़ित लोग अक्सर थक कर बैठ जाते हैं, कुछ तो लाइन देखकर ही निराश लौट जाते हैं। ऐसा नहीं है कि स्टाफ की तरफ से कोई कोताही बरती जाती है परंतु मरीजों की सुविधा के लिए व वर्किंग को सुवव्यस्थित और सुविधाजनक करने के लिए टोकन सिस्टम का होना दोनों के लिए बेहतर है
इन्हीं चुनौतियों के बीच अब मरीजों और जागरूक नागरिकों ने एक ठोस सुझाव अस्पताल प्रबंधन के समक्ष रखा है — टोकन सिस्टम लागू किया जाए।
इस प्रणाली के तहत मरीजों को लाइन में खड़े होने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्हें एक टोकन नंबर मिलेगा और वे आस-पास लगी बेंचों पर बैठकर आराम से अपनी बारी का इंतजार कर सकेंगे। जब उनका नंबर आएगा, तभी उन्हें बुलाया जाएगा — ठीक वैसे ही जैसे कई बड़े अस्पतालों और बैंकों में होता है।
मरीजों का कहना है कि जब अस्पताल को प्रदेशभर में पहला स्थान मिला है और उसे 35 लाख रुपये का पुरस्कार भी मिला है, तो इन पैसों का उपयोग व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने में होना चाहिए। टोकन सिस्टम एक ऐसी सुविधा है जिससे मरीजों की तकलीफें बहुत हद तक कम हो सकती हैं।
दवा वितरण काउंटर पर भी यही स्थिति बनी रहती है। वहां भी लंबी लाइनें लगती हैं और बुजुर्ग मरीजों के लिए यह बेहद कष्टदायक हो जाता है। यदि वहां भी टोकन सिस्टम शुरू किया जाए, तो मरीज बिना तनाव के अपनी दवा प्राप्त कर सकते हैं।
स्थानीय नागरिकों की अपील है कि अस्पताल प्रबंधन इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करे और शीघ्र इसे लागू करे। इससे न केवल मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि अस्पताल की सेवा प्रणाली और अधिक मानवीय तथा सुगठित बन सकेगी।
यह कदम पालमपुर सिविल अस्पताल को केवल प्रदेश का ही नहीं, बल्कि देश का मॉडल अस्पताल बना सकता है।