कंगना_की_साफगोई_की_तारीफ_होनी_चाहिए ::-लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार


17 जुलाई 2025–(#कंगना_की_साफगोई_की_तारीफ_होनी_चाहिए)–
हालांकि मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत अपने विवादित ब्यानों के लिए जानी जाती रही है। मेरी समझ मे वह राजनीतिक कार्यकर्ता नही है। वह न राजनीतिक भाषा बोलती है और न उन्हे राजनीति करनी आती है। मेरी समझ मे जो उनके दिल मे है वही जुबान पर है। उनकी मंडी संसदीय क्षेत्र मे आपदा क्षेत्र का दौरा न करने के लिए कड़ी आलोचना हुई। कंगना ने बहुत साफगोई और ईमानदारी से उस आलोचना का जबाव दिया है। उन्होने झूठे तर्क देकर अपना बचाव नही किया अपितु अपनी मन की सची बात बता कर बहुत ईमानदारी से अपनी बात रख दी है। उन्होने साफ कहा है कि मेरा राजनीति मे मन नही लग रहा है। उनका कहना है कि मैने लोगो की सेवा करने का कभी सोचा नही था, उन्होने साफ किया कि सेवा करने की मेरी पृष्ठभूमि नही रही है। उन्होने कहा कि मैने महिला सम्मान के लिए जरूर काम किया लेकिन वह राजनीति से अलग था। मेरा ब्लॉग कंगना की बात से सहमत है। राजनीतिक क्षेत्र और समाज सेवा हर किसी के बस की बात नही है। यह क्षेत्र आपसे कड़ी मेहनत और ओवर टाइम की अपेक्षा रखते है। कंगना की सच्ची बात यहीं खत्म नही होती उन्होने यह कह कर अपनी ही पार्टी भाजपा को भी कटघरे मे खड़ा कर दिया कि जब मुझे मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का आफर दिया गया था तो मुझे बताया गया था कि आपको वर्ष मे केवल 60- 70 दिन संसद मे उपस्थित रहना होगा और बाकी समय आप अपना काम कर सकती है। उनके इस कथन का सारांश है कि उन्हे भ्रमित कर राजनीति मे आने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।
यह बात काबिलेगौर है कि आज चुने हुए प्रतिनिधि से वोटर को बहुत अधिक आशाएं होती है। वह समझते है कि चुना हुआ प्रतिनिधि वह मास्टर चाबी है जिससे हर समस्या का ताला खुल सकता है। वह विधायक और सांसद को अपनी हर खुशी और गमी के अवसर पर साथ देखना पंसद करता है। वह अपने प्रतिनिधि से यह सच सुनने के लिए तैयार नही है कि मेरे पास आपदा के लिए कोई न फंड है और न ही मेरे पास कैबिनेट का पद। कंगना की इन बातों से मतदाताओ की नाराजगी स्वभाविक है। पार्टियां अक्सर इन सिलेब्रिटी लोगो की छवि का लाभ उठाने के लिए इन्हे टिकट दे देती है और इन लोगो को बालीवुड और अपनी राजनीतिक जिन्दगी मे संतुलन बनाने मे बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता है । इसकी कीमत पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओ और बाद मे निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओ को चुकानी पड़ती है। खैर कंगना ने ईमानदारी के साथ अपनी मन की बात कह दी है। मेरा ब्लॉग उनकी साफगोई की तारीफ करता है। साथ ही मेरे ब्लॉग का मानना है कि कंगना को एक और ईमानदारी दिखानी चाहिए अगर उनका मन राजनीति मे नही लग रहा है तो उन्हे त्यागपत्र देकर किसी कर्मठ राजनैतिक कार्यकर्ता को अवसर देना चाहिए और स्वयं अपना समय अपने पसंदीदा काम अभिनय और फिल्म निर्माण को समर्पित करना चाहिए।

#आज_इतना_ही।