#आपदा_से_निपटने_के_लिए_आबंटित_बजट_मे_कटौती_कर_सकती_है_सरकार)–


16 सितम्बर 2025- (#आपदा_से_निपटने_के_लिए_आबंटित_बजट_मे_कटौती_कर_सकती_है_सरकार)–

निस्संदेह हिमाचल मे मॉनसून की भारी वर्षा के कारण प्राकृतिक आपदा का कहर बरपा है। इस आपदा के चलते प्रतिष्ठित अखबार की रिपोर्ट कहती है की 380 लोग अपनी जान गंवा चुके है तथा 40 लोग लापता है। सड़के टूट गई है और रास्ते बंद हो गए है। सरकारी बिल्डिंग्स क्षतिग्रस्त हुई है और निजी संम्पति के नुकसान का आंकलन करने के बाद बताया जा रहा है कि नुकसान 5 हजार करोड़ से अधिक है। प्रदेश पहले ही आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है और एक लाख करोड़ से अधिक कर्जे मे डूबा हुआ है। हालांकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं आपदा से हुए नुकसान का आंकलन करने के हिमाचल के दौरे पर आए और हिमाचल को 1500 करोड़ रूपए के राहत पैकेज की घोषणा की है, लेकिन मिडिया रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल सरकार आबंटित बजट राशि मे कटौती करने पर विचार कर सकती है। काबिलेगौर है पहले ही हिमाचल मे गैर-योजना मे खर्च बढ़ता जा रहा है और योजना मे और कटौती प्रदेश के विकास को पूरी तरह रोक देगी। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू संकेत दे रहे है कि केंद्र से प्राप्त मदद न मिलने के कारण इस विकल्प पर विचार करना पड़ सकता है। मेरी समझ मे विकास के बजट मे कटौती कोई सही निर्णय नही होगा। सरकार के पास अभी अन्य विकल्प मौजूद है जिसका पूरा और सही तरीके से उपयोग नही किया गया है। सबसे बड़ा विकल्प जनसहयोग है। इस मामले मे जनता से मदद की अपील की जा सकती है। हालांकि हिमाचल के समाज सेवी संगठनो ने खूब मदद की है, लेकिन अगर पड़ोसी प्रदेश पंजाब के साथ तुलना की जाए तो अभी और भी गुंजाइश है। पंजाब के फिल्म कलाकार, इंडस्ट्री, सामाजिक संगठन, गुरूद्वारे, नामी खिलाड़ी और यहां पंजाबी एन.आई.आर अपने पंजाब के आपदा प्रभावित लोगो के साथ खड़े है। कुछ लोग आपदा प्रभावित गांवो को गोद ले रहे है और मकान बना कर देने का वायदा कर रहे है।
एक रिपोर्ट के अनुसार क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह 42 करोड़ की लागत से 600 ट्रेक्टर पीड़ितो को उपलब्ध करवाने जा रहे है। मेरा मानना है कि हिमाचल मे इस आपदा मे उतना सहयोग जनता से नही मिल पा रहा जितना अपेक्षित था। इसकी पहल मंत्रीमंडल के सदस्यो , विधायको और सांसदो की तरफ से होनी चाहिए थी। उनकी इस पहल से कर्मचारी और अन्य लोग भी प्रेरित हो सकते थे। सरकार योजना बना कर हिमाचल मे लगी इन्डस्ट्री को सी.एस.आर का पैसा आपदा मे खर्च करने के लिए कह सकती है। ऐसा नही हिमाचल मे पैसे वालो की कमी है देश की आधी से अधिक फार्मास्यूटिकल्स कंपनीज हिमाचल मे है। अडानी जैसे पूंजीपति के सीमेंट प्लांट और अन्य कारोबार भी हिमाचल मे है। हिमाचल से संबंध रखने वाले फिल्मी कलाकार पंजाबी कलाकारो से अधिक समृद्ध है लेकिन वह मदद के लिए आगे क्यों नही आए यह विचारणीय है। मदद कम मिल रही है इसके पीछे कहीं सरकार की विश्वसनीयता तो कारण नही है, क्योंकि सरकार इस आपदा के दौर मे भी फिजूल खर्च कर रही है और राजनैतिक नियुक्तियां कर रही है। खैर मेरे ब्लॉग का मानना है कि सरकार केन्द्र से और आर्थिक मदद लेने के लिए तालमेल और संवाद के साथ आग्रह करें और साथ ही एक अलग से आपदा फंड शुरू कर लोगो को मदद के लिए आह्वान करे और सुनिश्चित करे कि वह पैसा सिर्फ आपदा राहत मे ही खर्च होगा।
#आज_इतना_ही।

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