*लाइफस्टाइल रेजिडेंसी का सच: पांच साल में खस्ता हालत — एसबीपी से जवाब की मांग*”


“लाइफस्टाइल रेजिडेंसी का सच: पांच साल में खस्ता हालत — एसबीपी से जवाब की मांग”
मोहाली (चंडीगढ़ एरिया)।
एसबीपी ट्रीस सिटी की लाइफस्टाइल रेजिडेंसी, जिसे कभी आधुनिक सुविधाओं और बेहतरीन निर्माण के सपनों का प्रोजेक्ट बताया गया था, आज अपने निवासियों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। जिन वादों के दम पर लोगों ने यहां घर खरीदे—गैस पाइपलाइन, अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई, क्लब हाउस, सुरक्षा, पार्कों की देखरेख और शानदार मेंटेनेंस—वो सब अब तक अधूरे हैं। पांच-छह साल का वक्त बीतते ही यहां की इमारतों की हालत खराब हो चुकी है। कहीं प्लास्टर उखड़ रहा है, कहीं दीवारें सीलन से जर्जर हो चुकी हैं और लोग अपने ही घरों में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
रेजिडेंट्स का कहना है कि जिस मेंटेनेंस एजेंसी को सोसाइटी की जिम्मेदारी दी गई है, वह अपनी मनमानी करती है। न तो उसके पास पर्याप्त तकनीकी स्टाफ है, न ही मरम्मत और पेंटिंग का कोई तय शेड्यूल। सिक्योरिटी तो लगभग नाममात्र की रह गई है। वांछित तत्व आसानी से झूठे एफिडेविट देकर किराए पर मकान ले रहे हैं और उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। पार्कों की हालत बिगड़ी हुई है और क्लब हाउस जैसी सुविधाएँ केवल कागजों पर सिमटी हैं।
हालात इतने बिगड़े हुए हैं कि आज तक यहां आरडब्ल्यूए का गठन भी नहीं हो पाया है। कारण साफ है—कंप्लीशन सर्टिफिकेट और अन्य जरूरी दस्तावेज़ ही उपलब्ध नहीं कराए गए। निवासियों का कहना है कि अगर एसबीपी खुद मेंटेनेंस और सिक्योरिटी संभालने को तैयार नहीं है, तो फिर जिम्मेदारी सीधे आरडब्ल्यूए को दी जाए, क्योंकि वे सहर्ष यह जिम्मा उठाने को तैयार हैं।
यह पहली बार नहीं है जब एसबीपी पर सवाल उठे हों। कुछ समय पहले मोहाली की दूसरी सोसाइटी में भी लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था और बुनियादी सुविधाएँ न मिलने का आरोप लगाया था। खारड़ नगर परिषद तक ने एसबीपी को चेतावनी दी थी कि फायर सेफ्टी नियमों की अनदेखी पर कार्रवाई की जाएगी। बावजूद इसके हालात जस के तस हैं।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या बिल्डर और उससे जुड़ी एजेंसियों पर कभी ठोस कार्रवाई होगी या सरकारी विभाग केवल खानापूर्ति ही करते रहेंगे। निवासियों का दर्द साफ है—वे अपने सपनों का घर खरीदने आए थे, लेकिन उन्हें न सुविधाएँ मिलीं, न सुरक्षा। अब उनकी एक ही मांग है कि एसबीपी और प्रशासन तुरंत इस पर ध्यान दें और वादों को पूरा करें, वरना वे आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।