धर्मशाला–मैक्लोडगंज में जिम्मेदार विभागों की लापरवाही से बढ़ रहा खतरा, झुका खंभा और सूखा पेड़ बन सकते हैं हादसे की वजह


धर्मशाला–मैक्लोडगंज में जिम्मेदार विभागों की लापरवाही से बढ़ रहा खतरा, झुका खंभा और सूखा पेड़ बन सकते हैं हादसे की वजह

ट्राई सिटी टाइम्स | धर्मशाला
धर्मशाला का मैक्लोडगंज, जो विश्वभर में पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, इन दिनों प्रशासनिक लापरवाही की वजह से गंभीर खतरे की स्थिति में है। यहां जहां एक ओर पर्यटक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों को ट्रैफिक जाम और विभागीय अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है। धर्मशाला के मेन चौक से करीब 40 मीटर की दूरी पर ऑटो रिक्शा स्टैंड के पास सड़क के बीचोंबीच लगा विद्युत स्ट्रीट लाइट का खंभा बुरी तरह झुका हुआ है और उसने सड़क के लगभग चार फुट हिस्से पर कब्जा कर रखा है। यह स्थान ट्रैफिक जाम का प्रमुख कारण बन गया है क्योंकि इस खंभे की वजह से दो वाहनों का एक साथ निकलना लगभग असंभव हो जाता है। तस्वीरों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि स्ट्रीट लाइट का यह खंभा सड़क की बड़ी जगह घेरकर किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकता है, लेकिन न तो विद्युत विभाग ने इस पर ध्यान दिया और न ही नगर निगम ने कोई कार्रवाई की है।
इसी तरह मैक्लोडगंज के मेन बाजार में एक सूखा और झुका हुआ देवदार का पेड़ कई वर्षों से जानलेवा खतरे का रूप लिए खड़ा है। यह पेड़ पूरी तरह सूख चुका है, उसकी छाल गलकर नीचे गिरने लगी है और वह किसी भी समय सड़क पर गिर सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने इस पेड़ को हटाने की मांग कई बार फॉरेस्ट विभाग के सामने रखी, मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। तस्वीरों में यह साफ दिखाई देता है कि पेड़ किस तरह सड़कों और दुकानों की ओर झुका हुआ है और किसी भी समय जान-माल की हानि का कारण बन सकता है। लोगों ने व्यंग्य में कहा है कि अगर यह पेड़ किसी पर गिरकर जान ले ले, तो सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि दो लाख रुपये का मुआवजा तो सरकार दे ही देगी।
नगर निगम धर्मशाला, विद्युत विभाग, फॉरेस्ट विभाग, पीडब्ल्यूडी और ट्रैफिक पुलिस – सभी विभाग इन समस्याओं से परिचित हैं, लेकिन किसी ने भी अब तक स्थिति सुधारने की कोशिश नहीं की। यही कारण है कि धर्मशाला–मैक्लोडगंज जैसे विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पर ट्रैफिक जाम, झुके खंभे और सड़े पेड़ों जैसी मूलभूत समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। यह प्रशासन की असंवेदनशीलता का परिणाम है कि जो कार्य स्वयं विभागों को करने चाहिए, अब उन्हें मीडिया के माध्यम से उजागर करना पड़ रहा है। अगर शासन-प्रशासन ने जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो कोई बड़ी दुर्घटना होना तय है, और तब शायद कार्रवाई करने का कोई अर्थ नहीं बचेगा।
सरकार को चाहिए कि ऐसे खतरनाक ढांचे और पेड़ों को तुरंत हटाने के आदेश जारी करे, ट्रैफिक पुलिस को संवेदनशील बनाया जाए, और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।
क्योंकि सवाल अब केवल एक है 
क्या हम किसी की जान जाने का इंतजार करेंगे या जागकर धर्मशाला को फिर से सुरक्षित और व्यवस्थित बनाएंगे?
यह कोई सनसनीखेज समाचार नहीं, बल्कि समाज की उस सच्चाई की झलक है जहां लापरवाही अब सामान्य व्यवहार बन चुकी है।



 
  
 


 
				
 
						


