*Editorial:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिदृश्य*


*Editorial:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिदृश्य*

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिदृश्य बेहद रोमांचक और बदलाव से भरा होने वाला है। इस बार मुकाबला सिर्फ परंपरागत मुद्दों या जातिगत समीकरणों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मतदाताओं की अपेक्षाओं, बढ़ती जागरूकता और रिकॉर्ड वोटिंग ने नई राजनीतिक सोच को जन्म दिया है। दोनों प्रमुख गठबंधनों, एनडीए और महागठबंधन, ने अपनी-अपनी रणनीति के तहत मैदान में उतरकर जनता को अपनी तरफ खींचने की पूरी कोशिश की है
नए दौर की राजनीतिएनडीए जहां ‘डबल इंजन’ सरकार के नाम पर विकास की उपलब्धियों और कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख कर रही है, वहीं महागठबंधन महंगाई, बेरोजगारी और प्रवासन के सवालों पर सरकार की घेराबंदी कर रहा है। नीतीश कुमार के अनुभव और मोदी की लोकप्रियता एनडीए की सबसे बड़ी ताकत हैं, जबकि तेजस्वी और कांग्रेस के पास युवा शक्ति व बदलाव की अपील है। इस बार के चुनाव में महिलाओं और युवाओं ने उत्साहपूर्वक भागीदारी दिखाई है, जिससे चुनाव की दिशा पर निर्णायक असर पड़ेगा।
मुद्दों का घमासानजाति, कैंडिडेट की छवि, पैसों की ताकत और गठबंधन की कोऑर्डिनेशन—ये चार ‘सी’ इस चुनाव की धुरी रहे। नीतीश सरकार की स्थिरता और सामाजिक योजनाएं ग्रामीण-शहरी इलाकों में गूंजती रही, लेकिन साथ में सत्ता विरोधी हलचल और युवा मतदाताओं की अपेक्षाएं भी मजबूत रही हैं। पहली बार वोटर रोल में बड़े बदलाव और रिकॉर्ड टर्नआउट (लगभग 65%) ने स्पष्ट कर दिया कि बिहार का मतदाता अब राजनीतिक बदलाव के लिए सजग और तैयार है।
चुनाव परिणाम में किसकी सरकार बनती दिख रही है?विस्तृत चुनावी विश्लेषण और प्रमुख एग्जिट पोल्स से यही संकेत मिलते हैं कि एनडीए को मामूली किन्तु निर्णायक बढ़त हासिल हो सकती है। भाजपा, जद(यू), लोजपा-रामविलास सहित उसके सहयोगी दलों का गठजोड़ बहुमत के करीब या उसके पार जाता दिख रहा है। महागठबंधन पूरी ताकत झोंककर भी थोड़ी कम पड़ता नजर आ रहा है। हालांकि जनसुराज और छोटे दल भी कुछ सीटों पर असर डाल सकते हैं, आम परिणामों पर यह प्रभाव सीमित ही दिखता है।सामाजिक मनोदशा और भविष्य के संकेतबिहार के मतदाता अब पारंपरिक निष्ठा की जगह यथार्थवादी विकल्प चुन रहे हैं—जहां एक तरफ विकास व स्थिरता को प्राथमिकता मिल रही है, वहीं दूसरी ओर बदलाव और नई उम्मीदें भी राजनीति में जगह बना रही हैं। वोटर का यह नया भाव, न सिर्फ क्षेत्रीय, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दिशा को भी तय करेगा। अगर अनुमान सही साबित होते हैं तो एनडीए की सरकार वापसी तय है, जिससे नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और भाजपा का कद और बढे़गा। दूसरी ओर, विपक्ष को आत्ममंथन और संगठन को नया स्वरूप देने की चुनौती मिल सकती है।संक्षिप्त तौर पर, बिहार का 2025 चुनाव राजनीतिक बदलाव, बढ़ती जागरूकता और मुद्दों की नई परिभाषा के साथ एक नई दिशा की तरफ बढ़ता दिख रहा है। एनडीए फिर से सत्ता में लौटने के करीब है, लेकिन राजनीति की ज़मीन पर युवाओं, महिलाओं और जागरूक मतदाताओं की सक्रियता सबको चौकन्ना रखने वाली है



