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*सुबह की चौधराहट :by राकेश कोरला HAS*

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*सुबह की चौधराहट :by राकेश कोरला*

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Valentine day हर वर्ष आता है और हर साल सोचता हूॅं कि अगले बरस यह दिन सबके लिए गिले – शिकवे मिटा कर प्यार के रंग में रंग जाने का दिन होगा।
मगर हर साल निराशा ही हाथ लगती है ।
पिछले बरस से कुछ भी तो नहीं बदला है , बल्कि गलतफहमियां और भी बढ़ी हैं ।
पिछले साल इसी दिन दिल से निकले उद्गार जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं , साझा कर रहा हूँ , इस उम्मीद के साथ कि अगले साल तक सबके दिलों के आँगन में प्यार के गुलाब लहलहा उठेंगे।

” प्यार का चल रहा
है त्यौहार ,
हर तरफ बरस रहा प्यार
और हो रहा मनुहार ,

अंकुरित हो रही
दिलों में
कोंपलें प्यार की ,
हो रही हैं बातें
चहुं और !
प्यार ही प्यार की !

मैं और आप , हम और वो , इस मुल्क का हर बाशिंदा , हम सब आपस में मिलना – जुलना चाहते हैं ….
एक दूसरे का सुख – दुख बांटना चाहते हैं ।

अगर चोट एक को लगती है तो दर्द दूसरे को भी महसूस होता है और किसी की जिंदगी में आये खुशी के पलों की चमक दूसरे के चेहरे पर भी झलकती है ।

तो फिर हमारे बीच यह दीवार कौन खड़ी कर रहा है ?
कौन है जो हमारे दिलों के आंगन के बीच दीवारें बनाकर हमारे आंगन को छोटा कर रहा है और हमारे दिलों को संकुचित ?
जिंदगी प्यार के लिए ही छोटी है और हम नफरतों के लिए भी समय निकाल रहे हैं।

हमारे लहु का रंग एक सा , हमारे विश्वास एक से , हमारे अहसास एक से , तो फिर हमारे बीच में दूरियां कैसी और क्यों ?

आज प्यार का त्यौहार है , प्यार करने वालों का उत्सव !क्या कोई Valentine हमारे अहसासों को जुबां देगा ?
हमारे दिलों की ज़मीं पर उग आयेे नागफनियों और केक्टसों से गलतफहमियों के कांटों को कम करके प्यार के फूलों को पल्लवित करने के लिए कोशिश करेगा ?

क्या हम सब की जिंदगियों में गुलाबों के मौसम लाएगा ?
मजहबी रंगों में रंग चुकी हमारे मन की चादर को गुलाबी रंग में रंग देगा ?

बकौल जनाब बशीर बद्र,

“सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत!”

मगर हम इन्तज़ार क्यों और किसका कर रहे हैं .. ?
क्यों न हम सब ही यह बीड़ा उठायें !
आईए , Please…… हम सब Valentine बन जायें !

Happy Valentine day.

राकेश कोरला।
पुष्पांजलि।
पालमपुर।
14.02.2023

#सुबहकीचौधराहट

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