*होली के रंग:-विनोद वत्स की कलम से*
होली के पावन पर्व पर नई रचना आप सभी के लिये बुरा ना मानो होली है
होली के रंग
होली के रंग देखो करे उड़दंग ।
पी के खुशी की भंग हुये बदरंग।
चेहरों को ढूंढे जिसपे लगा हो ना रंग
संग उसके नाचे और बने नवरंग।
होली के रंग —-
खुशियों की भर पिचकारी
पीले रंग ने है मारी
हरे रंग ने भी झट से
भिगो दी है पीली सारी।
दोनो भीगे इक दूजे में
रंग हुआ लाल दबंग।
होली के रंग देखो करे उड़दंग
पी के खुशी की भंग हुये बदरंग।
चेहरों को ढूंढे जिसपे लगा हो न रंग
संग उसके नाचे और बने नवरंग।
पानी से तन है झांके
चोली पे पड़ गये छापे
लाज शर्म भी देखो
आँखिया चुरा के भागे
किससे कहे कि दिल मे
जागी नई उमंग।
होली के रंग देखो करे उड़दंग ।
पी के खुशी की भंग हुये बदरंग।
चेहरों को ढूंढे जिसपे लगा हो ना रंग
संग उसके नाचे और बने नवरंग।
होली के रंग —-विनोद वत्स की कलम से