*धन्यवाद नगर निगम कमिश्नर पालमपुर! हम महिलाएं एक बार और धन्यवाद करना चाहेंगी।*
धन्यवाद नगर निगम कमिश्नर पालमपुर! हम महिलाएं एक और धन्यवाद करना चाहेंगी।
एम सी मार्केट ऑपोजिट शनि मंदिर महिला दुकानदारों ने नगर निगम कमिश्नर से एक शौचालय बनाने की गुहार लगाई है । मार्केट में शौचालय ना होने के कारण महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ।
हाल ही में ट्राइसिटी टाइम्स में प्रेस क्लब के सामने की पार्किंग की खस्ता हालत तथा उससे फैल रही बदबू तथा पानी व सीवरेज के गंदे पानी के रिसाव के बारे में खबर छपी थी जिसके विषय में वहाँ के काउंसलर से भी बात की गई थी नगर निगम उपायुक्त ने इस विषय पर स्वयं संज्ञान लेते हुए और त्वरित कार्यवाही करते हुए वहां पर हो रहे गंदगी के रिसाव और बदबू से तुरंत निजात दिलवा दी।वहां के आसपास के दुकानदारों ने तथा विशेष रूप से उस पार्किंग में कार्य कर रहे व्यक्ति ने राहत की सांस ली कि अब उसे बदबू से और गंदे पानी से छुटकारा मिल गया है।
इसी तरह से इस मार्केट के शौचालय की समस्या को लेकर पहले भी दुकानदारों द्वारा संबंधित अधिकारियों से बात की गई परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई ,विशेष रुप से महिला शौचालय की यहां पर बहुत अधिक दिक्कत है। हालांकि यहां पर वह तथाकथित साडे 12लाख रुपए वाला शौचालय बनवाया गया । लोगों का कहना है कि यहां एक बात समझ नहीं आई कि जब यहां पर काफी समय पहले से ही पार्किंग की प्रपोजल है तो फिर यहां पर यह इतना बड़ा शौचालय किस लिए बनाया गया, क्योंकि जैसे ही कुछ महीनों में पार्किंग की प्रपोजल सिरे चढ़ेगी यह शौचालय तोड़ना पड़ेगा यानी के सीधा-सीधा 12लाख का नुकसान ।इस शौचालय में जो गंदगी और बदबू का आलम है वह किसी से छुपा नहीं ।हैरानी की बात यह है कि सामने मीट मार्केट है और कच्चे मीट में इंफेक्शन तीव्र गति से व एकदम से कैच होता है। यह न केवल वहां पर काम कर रहे लोगों के लिए जानलेवा सिद्ध हो सकता है बल्कि गंदगी के कारण लोगों को शौचालय जाने में भी परेशानी हो रही है।
अभी दुकानदारों ने बताया कि कुछ समय पहले उन्होंने पुरुष शौचालय को तो ठीक करवा लिया परंतु महिला शौचालय बहुत ही खस्ता हालत में है और वहां पर गंदगी और बदबू का यह आलम है वहां पर शौच करना तो दूर की बात आप 1 मिनट के लिए नाक बंद करके भी खड़े नहीं हो सकते। यह बात दुकानदारों द्वारा कई बार निगम शासन प्रशासन के संज्ञान में लाई गई परंतु कोई असर नहीं हुआ। हैरानी की बात यह है कि जहां पर महिलाओं की हर जगह प्राथमिकता के आधार पर शिकायतें सुनी जाती है यहां पर इस मार्केट की महिलाएं शौचालय ना होने के कारण बहुत परेशान हैं और उन्हें अपनी दुकानों को छोड़कर दूर-दूर के स्थानों पर जाकर शौच करने के लिए जाना पड़ता है। मीट मार्केट में ज्यादातर पुरुष लोग कार्य करते हैं और वहां पर सामने ही महिलाओं का शौचालय बने , तकनीकी रूप से वैसे भी सही नहीं लगता। परंतु अगर यहां पर सफाई होती तो भी महिलाएं इस शौचालय का इस्तेमाल कर सकती थी ।
शौचालय की इतनी खस्ता हालत है कि उन्हें तस्वीरों में भी दिखाया नहीं जा सकता।
यहां की महिला दुकानदारों तथा पुरुष दुकानदारों का कहना है कि महिलाओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यहां पर एक छोटा सा शौचालय बनाया जाए अगर कोई दिक्कत हो तो इसे सीढ़ियों के नीचे ही बना दिया जाए जिसमें बहुत कम खर्चा यानी 10 -20 हजार के खर्चे में यह कार्य हो जाएगा.।
अगर नगर निगम के पास सफाई कर्मचारियों की कमी है तो मार्किट के लोग इस महिला शौचालय की सफाई के पैसे देकर खुद इंतजाम करने को तैयार हैं। उनका कहना है कि उन्हें एक छोटा सा शौचालय बना कर दिया जाए ताकि महिलाओं की इज्जत उनकी जरूरत के हिसाब से समाधान हो सके ।
उम्मीद है नगर निगम के कमिश्नर इस पर अवश्य संज्ञान लेंगे और स्वयं साइट का विजिट करके महिलाओं की समस्याओं को सुनेंगे और इसका तुरंत समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।
महिला दुकानदारों ने कहा कि पार्किंग में फैल रही गंदगी और बदबू से तो कमिश्नर साहब ने छुटकारा दिलवा दिया है और उम्मीद है कि साइड में गिरी हुई दीवार भी जल्दी ही लग जाएगी । अगर शौचालय की समस्या का हल निकालते हैं तो इसके लिए वे लोग उनका दोबारा से धन्यवाद करेंगी।
” तू चल और मैं आया ”
सूद साहब! इससे पहले तो निगम की कार्य प्रणाली ऐसी ही रही न कोई साहब कुर्सी से उठकर आता था और न ही समस्या का समाधान होता था , लेकिन अब लगता है खबर का असर भी है और निगम आयुक्त भी समस्या का हल करने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ समस्याऐं ही ऐसी होती हैं जिनकी समाधान की तुरंत जरूरत होती है मगर वो लोग कहां रह जाते हैं जो घर घर जाकर हाथ जोड़ कर और जलसों में भीड़ जुटा कर अपने आकाओं को साथ लेकर विकास की डींगें मारते हैं और भोली भाली जनता इनकी बातों में आ कर लोग इनके हक में वोट डाल कर इनको जिता कर , कुर्सी के लिए इनकी तड़प को शांत कर इनको कुर्सी पर शोभायमान कर बहुत बड़ा तोहफा इनको देते हैं और ये कुर्सी संभालते ही इतने मस्त , इतने व्यस्त हो जाते हैं कि विकास की बात छोड़ो , समस्या के हल की बात छोड़ो ये अपनो को ही भूल जाते हैं , जब कभी कहीं भीड़ इक्कठी हो तो हर नेता ये कहता है हमें मातृ शक्ति पर गर्व है कि उन्होंने ज्यादा संख्या में आकर इस प्रोग्राम की शोभा में चार चांद लगाएं हैं और अगर इसी शक्ति का इसी जग जननी की मुश्किलों का हल न हो तो इन बातों का क्या ओचित्य ? सूद साहब , ये वो निगम है जहां 12 / 14 लाख का दुर्पयोग एक छोटी सी बात है क्योंकि इस राशि से बनने वाले शौचालय या तो बंद पड़े हैं या फिर उनकी ऐसी दुर्दशा है कि वो प्रयोग करने लायक ही नहीं हैं या उनको उखाड़ कर दोवा रा बनाया गया और कई इस जद में आने वाले हैं , अगर महिला शौचालय की हालत खस्ता है तो क्यों ? वहां बदबू का आलम इस कदर है कि उसके आस पास नाक बंद कर रुकना भी दुशवार है तो फिर निगम कहां खड़ा है , संबंधित पार्षद के प्रयत्न भी स्वालों के घेरे में रहेंगे और इस विकट समस्या का हल शासन प्रशासन से गुहार के बाद भी नहीं तो क्यों ? मातृ शक्ति की समस्या का समाधान किस दंभ में आकर दफ़न हो रहा है, इन सवालों का उठना लाजमी है , इन महिला दुकानदारों द्वारा दस बीस हजार के खर्चे से एक शौचालय निर्माण की प्रपोजल भी आ रही है जिसके लिए ये पैसा देने को भी त्यार हैं तो इस पर गौर क्यों नहीं? महिलाओं को कमिश्नर साहब जी पर कितना भरोसा है कि उन्होंने स्वयं संज्ञान लेकर हमारी एक एम सी मार्किट के सामने पार्किंग में बदबू बाली समस्या का हल करवाया है और अगर साहब इस समस्या का संज्ञान भी लेंगे तो इसका समाधान भी तुरंत हो जायेगा और हम फिर से साहब जी का धन्यवाद करने जाएंगी , ऐसा विश्वास ये पूजनीय रखती हैं , मेरी तो आशीष जी से भी गुजारिश रहेगी कि आप भी इस विकट समस्या के समाधान के लिए अपना सहयोग दें
डॉक्टर लेखराज खलेट ठाकुरद्वारा