पाठकों के लेख एवं विचार

*सुरक्षित जिंदगी*लेखक उमेश बाली

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सुरक्षित जिंदगी
जिंदगी कीमती है और इनसान का पहला उद्देश्य यह होना चाहिए कि जिंदगी की सुरक्षा कैसे की जाए । जवानी में इंसान की सोच होती है कि मेरे पास काफी समय है और अभी मैं मर नही सकता । adrenaline harmone उत्पत्ति शरीर में बिजलियां भर देती हैं जवान व्यक्ति ही नही पशु भी इससे अछूते नहीं । इस हार्मोन की उत्पत्ति उन्माद भर देती है और रोमांच मे बहुत आनंद मिलता है । जवानी की सोच मे इज कदर उमंगे भर जाती है कि व्यक्ति हर खतरे से खेले जाता है । जंग में सैनिकों का हौंसला यही हार्मोन बढ़ाता है और वो ऐसा काम कर जाते हैं की उनकी बहादुरी देख कर दुनिया चकित रह जाती है । जवानी मे बाइक पर दौड़ते युवक इसकी वजह से परवाह नही करते । यहां तक की जवान हो रहे हाथी मे भी इस का उन्माद देखा जा सकता है । नारी और पुरूष में आकर्षण का भी यही कारण है और इंसान भविष्य की सुंदर कल्पना में डूब जाता है । जहां यह हार्मोन इंसान के व्यक्तिव को बुलंदियों पर ले जाता है वहीं कई बार जीवन लील जाता है । लंबे जीवन के लिए सब से जरूरी और अकाल मृत्यु से बचने के लिए यह जरूरी है बेमतलब जीवन को खतरे में मत डालिए । पिछले दिनों कुछ अमीर लोग इसलिए जीवन गंवा बैठे कि उन्होंने टाइटेनिक के मलवे को देखने के रोमांच को दर किनार नही किया और समुद्र की गहराइयों में जीवन को दाव पर लगा दिया और अपना अंत कर लिया । इसलिए बेवजह ऐसे जोखिमों से बचिए । बहुत से लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार इसी लिएं हो जाते हैं । आए दिन हम बाइकर्स की दुर्घटनायों को देखते है लेकिन सबक नही मिलता । इसी तरह बिजली विभाग के कई लोग बिना सुरक्षा उपायों के खम्बो पर चढ़ कर जीवन गंवा देते हैं । रात को बूट न पहन कर बिना रोशनी के लोग सर्प दंश का शिकार हो जाते हैं । नहाने के बाद बाथरूम में वाइपर से पानी न सुखाना भी किसी भी व्यक्ति के लिए हड्डी तुड़वा बैठना आम है और कुछ जीवन भी खो देते हैं । गैस की लीकेज दिखने के लिए कई मूर्ख लोग आग जला कर देखते हैं और कुछ मूर्ख तेल की टंकी को माचिस या लाइटर की अग्नि से जला कर देखने से अपना और दूसरे का जीवन खतरे में डाल देते हैं । इसी तरह कुछ मूर्ख लोग सेल्फी खींचने के चक्कर में बरसात मे नदियों में अपनी ज़िन्दगी को खो बैठते हैं । कुछ समय पहले दूसरे राज्य से घूमने आए छात्र ब्यास मे नदी में आउट के पास अपना जीवन गंवा बैठे । कुछ लोग शराब पी कर गाड़ी चलाते हुए अपना और दूसरे के जीवन को और छोटा कर गए । इन उदाहरणों में लेखक का भाव यह हैं कि अगर जरूरी न हो तो जीवन को और छोटा करने के लिए जोखिम न लें । इसके बाद खान पान आता है इस पर अधिक लिखना मैं जरूरी नही समझता कयोंकि मेरे सारे आदरणीय पाठक इस बात को समझते हैं । जहां तक हो सके खुद और बच्चो को नशे से बचा कर रखिए । सबसे साधरण नशा स्मोकिंग है और यह ऐसा न मुराद नशा है जिसकी कोई इतनी परवाह नही करता लेकिन क़रीब 45 साल के बाद अपना असर दिखाता है जब व्यक्ति को सीओपीडी नामक तकलीफ़ से जूझना पड़ता है ओर सांस लेने में अत्यधिक तल्लीफ होती है । लेखक इस का जीता जागता उदाहरण है। बाद मे छोड़ने से पहले ही इसे छोड़ दीजिए यह स्लो पॉयजन है । जीतना हो सके स्वयं और बच्चो को लंबी पैदल सैर की आदत डालिए । सब से आसान तरीका है फैटी लीवर और दिल की बीमारियां से बचने का । इससे आसान कोई रास्ता नही है अत्यधिक वसा को घटाने का या पैदा होने से रोकने का । जंगली जानवरों और परिंदो में वसा जमा नही होती । खाने का भी सबसे शानदार तरीका परिंदो का हैं लंबी उड़ान और कुतर कर थोड़ा सा खाना । शेर जैसे जीव भी महिने में एक या दो बार खाते हैं और हम भूख न भी हो तो भी मिठाइयों का लोभ नही रोक पाते । अंत में इतना ही कहता हूं कि जीवन पर जोखिम मत लिजिए ।

Umesh Bali Tct

धन्यवाद । उबाली ।

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