*मणिपुर* लेखक उमेश बाली
मणिपुर
इस संघर्ष की शुरुआत मुल्क आजाद होने से होती है । उस समय मणिपुर का राजा बौद्ध चंद्र था , जब मुल्क की आजादी की बात चली तो मणिपुर के महाराजा को तीन विकल्प दिए 1 भारत में विलय 2 पाकिस्तान में विलय 3 स्वतंत्र राज्य । महाराजा ने तीसरे विकल्प को चुना और इसके लिए वहां रायशुमारी भी की गई तब कुकी आदिवासियों ने सोचा कि अगर किसी देश के साथ विलय होता है तो बाहरी लोग हमारे जंगल और जमीन छीन लेंगे इसलिए मणिपुर की जनता ने स्वतंत्र राज्य का विकल्प चुना । भारत आजाद हुआ। तो भारत सरकार ने राजा पर दवाब बनाना शुरू किया और मणिपुर का भारत में विलय होगया । उसी समय कुकी आदिवासियों ने सशस्त्र विद्रोह शुरू कर दिया। भारतीय सेना इनसे लड़ती रही आखिर 1971 को मणिपुर में शांति बहाली के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया और राजनितिक गतिविधियां शुरू हुई । क्योंकी मणिपुर में मैतई समुदाय अधिकतर शहरी इलाकों में या ऐसे इलाकों में था जहां कृषि हो सकती थीं और बहुसंख्यक था और सघन आबादी वाला था इसलिए इनका बर्चस्व था जब कि कुकी आदिवासी जंगलों में रहते थे और बिखरे हुए थे लेकिन उनमें उग्रवाद पनपता रहा अपने जंगल और जमीन बचाने के लिए । और सेना और कुकी में युद्ध में चलता रहा 2008 तक ।2008 में युद्ध विराम हुआ सरकार सेना और कुकी आदिवासियों के बीच । लेकिन कुकी समुदाय के कुछ संगठन इस विराम के खिलाफ थे और घटनाएं चलती रही । इसके बाद 2014 के बाद मैतई समाज सुगबगाहट शुरू हुई जंगल और वहां की जमीन पर अधिकार के लिए इसके लिए इस बहुसंख्यक समाज ने भी मांग कर दी अपने को आदिवासी दर्जा देने की । मामला न्यायलय में न्यायलय ने भी दर्जा देने के लिए हामी भर दी । कुकी आदिवासी भी लामबंद हो गए क्योंकी अपनी जंगल और जमीन के लिए तो वो 75 साल से संघर्ष कर रहे थे नतीजा 2023 में विस्फोट हो गया । बीजेपी की सरकार है अधिकांश विधायक मैतई समाज से आते है कुकी आदिवासीयों पर हमले हो रहे है बहुसंख्यक वोट बेंक के लिए राजनीति खामोश है कि इसी दौरान कुकी महिलाओ को नग्न करने , सरेआम भीड़ ने उन्हें नग्न किया उनके भाई और बाप को मार डाला गया अनके नग्न अंगो को भीड़ के सामने छुआ गया फिर गैंग रेप किया । यह एक ऐसी घटना है जिसने मानवता की सारी हदें लांघ दी लेकिन केंद्र हो या मणिपुर दोनो की राजनीति खामोश ठीक उसी तरह जैसे राजस्थान में गहलोत , बिहार में नितीश और बंगाल में ममता । अब मेरे प्रिय पाठक खुद सोचे कि वोट के लिए रजनीति इधर की हो या उधर की कितनी खामोशी से अपराध के मामलो को दबा सकती है । महिलाओ आपका सम्मान भी राजनीति के रहमोकरम पर है ।
उबाली ।