सिविल हॉस्पिटल पालमपुर में स्किन ओपीडी को चाहिए दूसरा स्पेशलिस्ट डॉक्टर
सिविल हॉस्पिटल पालमपुर में स्किन ओपीडी काफी भीड़ नजर आती है। यहां पर एक ही स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर मेघा सोंधी मरीज को देखती है जबकि स्किन ओपीडी में लगभग हर रोज सामान्यत 100 के करीब मैरिज दिखाने को आते हैं ।आज भी अभी 3:00 बजे तक 114 ओपीडी हो चुकी थी यदि एक मरीज को 5 मिनट का समय भी दिया जाए तो 100 मरीजों को 500 मिनट का समय देना पड़ेगा जिसका सीधा सा मतलब है कि 8 घंटे अगर डॉक्टर लगातार बैठे तो वह इतनी ओपीडी को निपट सकता है और किसी मरीज को 5 मिनट में देखना संभव नहीं है क्योंकि यहां पर डॉक्टर को मरीज देखने होते हैं कोई फ्रूट सब्जी नहीं बेचनी होती है कि 5 मिनट में एक ग्राहक को निपटा लिया जाए।
किसी भी बीमारी के प्रति जरा से लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है डॉक्टर मेघा सोंधी अपनी पूरी कोशिश करती है कि वह सभी मरीजों को देखकर जाए परंतु इतनी अधिक ओपीडी होने पर एक डॉक्टर कैसे 100 मरीज को संभाल सकता है। यह एक सोचने की बात है ।यहां के अस्पताल प्रशासन को तथा लोकल लीडरशिप को चाहिए कि स्किन की ओपीडी को देखते हुए यहां पर दूसरा स्किन स्पेशलिस्ट की नियुक्ति की जाए ।
पालमपुर हॉस्पिटल में पहले दो स्किन स्पेशलिस्ट हुआ करते थे लेकिन डॉक्टर करण के रिटायर होने के बाद यहां पर कोई भी स्किन स्पेशलिस्ट की नियुक्ति नहीं हुई है ,लोग परेशान हो रहे हैं डॉक्टर भी परेशान है ,इतनी भीड़ को देखना किसी के भी बस की बात नहीं है।
डॉ सुबह 9:00 से 4:00 तक बैठते हैं उसे हिसाब से उनके पास कार्य करने के 7 घंटे होते हैं अगर उसमें से लंच ब्रेक निकाल दी जाए तो कार्य करने का समय 6 घंटे ही रह जाता है जबकि मरीजों की भीड़ को देखते हुए 8 से 10 घंटे का समय चाहिए जो एक डॉक्टर के वश से बाहर है।
यह हालत केवल स्किन ओपीडी की ही नहीं है बल्कि कुछ डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि eye तथा ortho और gynae डिपार्मेंट में भी यही हाल है. वहां पर भी मरीजों को घण्टों इंतजार करना पड़ रहा है लेकिन मरीजों की मजबूरी है कि वह घर से रोटी बांधकर आए और पूरा दिन हॉस्पिटल में बिताए फिर जाकर डॉक्टर को दिखाएं समर्थ लोक दो प्राइवेट अस्पताल में चले जाते हैं परंतु जिनके पास सरकारी अस्पताल में दिखाने के अलावा कोई और चारा नहीं वह तो इंतजार ही करेंगे और अपनी किस्मत पर आंसू ही बहाएंगे।
किसी डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि जब से कोविड कर्मचारियों को सर्विस से बाहर किया गया है तब से लेकर समस्या और विकराल हो गई है क्योंकि वे लोग डॉक्टरों की सहायता करते थे ।रजिस्टर में एंट्री करते थे दवाइयां समझाते थे लोगों को लाइन में आने और भीड़ को काबू में करने में सहायता करते थे ताकि कोई डॉक्टर से बहस ना कर सके और डॉक्टर का समय पर बर्बाद न हो लेकिन सरकार ने उन आउटसोर्स कर्मचारी को भी नौकरी से बाहर कर दिया है जिसकी वजह से अस्पताल मे मरीज ,डॉक्टर नर्सिंस और स्टाफ सब परेशान हो रहे हैं।
क्या अस्पताल प्रशासन और लोकल लीडरशिप इस और ध्यान देगी ताकि लोग परेशान ना हो और उन्हें हेल्थ चेकअप के लिए तीन से चार घंटे का इंतजार ना करना पड़े।
बुरा हाल है