Mandi/ Palampur/ Dharamshala

Muncipal corporations:*हर छोटी-छोटी बात के लिए मीडिया को क्यों घुसना पड़ता है??*

 

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हर छोटी-छोटी बात के लिए मीडिया को क्यों घुसना पड़ता है??

Tct chief editor

पानी के लीकेज हो ,बिजली की तार टूट गई हो, पानी सड़क पर जमा हो,पीने के पानी  को कुत्ते पी रहे हों, आवारा पशुओं का आतंक हो, में हो कूड़ा इधर-उधर बिखरा हो, स्ट्रीट लाइट ना जल रही हो, पेड़ किसी की जान लेने को उतावले हो ,यह सब चीज आम जनता को ही क्यो दिखाई देती है । यह चीज उन जिम्मेदार कर्मचारी और अधिकारियों को भी दिखाई होंगी  जो इनकी रेक्टिफिकेशन के लिए उनके रख रखाव के लिए जिम्मेवार है ।
परंतु वह इसलिए इसका संज्ञान नहीं लेते कि उन्हें तो सैलरी मिल रही है उन्हें इसका कोई फर्क नहीं पढ़ने वाला ।कोई कहेगा तो कर देंगे वरना बने रहो पगला काम करेगा अगला।
लिखने को जितना मर्जी लंबा चौड़ा भाषण लिख लीजिए किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता।

यह जो अपने नीचे चित्र में खड्डा देख रहे हैं यह SDM ऑफिस के बाहर जहां से एसडीम ऑफिस की सीढ़ियां चढ़ती हैं वहां पर सड़क में है तथा लगभग पिछले दो वर्षों से इसी हालत में है।

ऐसा नहीं कि यहां के पार्षद यहां से हर रोज 5-6 बार ना गुजरते हैं या कोई पीडब्ल्यूडी का ऑफिसर इधर से ना जाता हो या जल विभाग के कर्मचारी इधर से ना गुजरते हैं  वे सब देखते होंगे पर आंखें मूंद कर चले जाते होंगे।

परसों रात को ही एक स्कूटी वाली मैडम यहां पर गिरने से बची अगर वह गिर जाती तो उसकी टांग टूट जाती है और वह जिंदगी भर के लिए अपंग और अक्षम हो जाती।
परन्तु इससे किसी को क्या फर्क पड़ता है। कसूर केवल इस के रखरखाव के लिए जिम्मेदार लोगों का ही नहीं है बल्कि उन नागरिकों का भी है जिनकी नाक तले यह खड्डा पिछले लगभग2 साल से भी ज्यादा समय से इसी हालत में है। कीचड़ उछलकर लोगों के कपड़ों पर गिरता है किसी के पैर में मोच आने से बचती है ,स्कूटी से गिर के किसी की टांग टूटने से बचती है परंतु किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
हां अगर इलेक्शन का समय होता तो लोकल वार्ड के नेता लोग अवश्य इस ओर ध्यान देते। इसीलिए लोगों की यह मांग लगभग जायज है कि चुनाव हर दूसरे साल होने चाहिए ताकि शासन प्रशासन में गति बनी रहे नई स्कीम में आती रहे नई रेवड़ियां बटती रही। ऐसा नहीं है कि यह बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है यह कोई रॉकेट साइंस है जिसे ठीक करने में इतना समय लग गया या इस पर कोई रिसर्च चल रही है कि इसे कैसे ठीक किया जाए😂 यह कम मात्रा आधे घंटे का भी नहीं है परंतु संज्ञान कौन ले? और काम कौन करें?
इसी तरह का एक खड़ा राधा कृष्ण मंदिर के सामने भी था उसकी भी यही हालत थी वह इससे बड़ा था लेकिन राधा कृष्ण मंदिर के ट्रस्टी गोपाल सूद ने वहां पर सीढ़ियां बनाई और उसके साथ ही उसे खड्डे को भी भर दिया जो इससे भी खतरनाक था और उन्हें शायद एक घंटा भी ना लगा होगा ।
अगर एक समाज सेवक इस तरह का कार्य कर सकता है तो सरकार क्यों नहीं? और हम जनता के लोग सरकार को ऐसी छोटी-छोटी बातों के लिए चेताते क्यों नहीं? यहां के जो पार्षद हैं वह पर रोज स्कूटर पर इधर से गुजरते होंगे परंतु किसी ने उन्हें यह बताने की कोशिश नहीं की होगी कि यहां पर यह खड्डा है इसे एकदम से ठीक करवा दिया जाए,।
  सरकार और प्रशासन तो बाद में आते हैं परंतु जो रोज इधर से गुजरते हैं जिनकी दुकान के आगे ऐसे गड्ढे पड़े हैं। क्या  उनका कोई फर्ज नहीं बनता?
परंतु वही बात है कि कोई बुरा नहीं बनना चाहता इसलिए तो हम जिस हाल में है उसी में रहना पसंद करते हैं चलिए देखते हैं क्या बनता है इस खबर के बाद …क्या यह खडडा ठीक होता है या नहीं ?

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