*लोकसभा_चुनाव_से_पहले_इंडिया_गठबंधन_को_बसपा_को_लेकर_हाथ_लगी_निराशा* महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार
19 जनवरी 2024- (#लोकसभा_चुनाव_से_पहले_इंडिया_गठबंधन_को_बसपा_को_लेकर_हाथ_लगी_निराशा)–
पहले खबर आई कि वर्चुअल बैठक मे इंडिया गठबंधन के अधिकांश सदस्यों ने हिस्सा नहीं लिया है। साथ ही यह भी समाचार आया कि बिहार के मुख्यमंत्री ने इंडिया गठबंधन के संयोजक का पद ठुकरा दिया है। इसके बाद बसपा के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा आई।हालांकि कांग्रेस पार्टी भाजपा के खिलाफ एक ही उम्मीदवार खड़ा करने के सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए 26 सहयोगियों के बीच सहमति बनाने और सहमति के आधार पर सीट- बंटवारे के लिए गभींर प्रयास कर रही है। कांग्रेस नेतृत्व और इंडिया गठबंधन यह जानता है कि भाजपा को रोकने के लिए भाजपा को उत्तर प्रदेश मे रोकना जरूरी है। मिडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस पिछले काफी समय से बसपा को इंडिया गठबंधन के साथ जोड़ने के लिए प्रयासरत थी। इस सन्दर्भ मे कांग्रेस मध्यस्थो के माध्यम से बसपा सुप्रीमो मायावती से बातचीत कर रही थी। कांग्रेस सभी सेकुलर ताक़तों को एक मंच पर ला कर भाजपा का मुकाबला करने का इरादा रखती है। कांग्रेस के रणनीतिकारों की नजर बसपा द्वारा उत्तरप्रदेश मे प्राप्त 12.88 प्रतिशत वोट शेयर पर थी। इसके अतिरिक्त सारे देश मे मायावती के साथ के चलते अनुसूचित जाति वोटों के लाभ की उम्मीद भी थी। हालांकि कांग्रेस की इस कवायद से इंडिया गठबंधन की सहयोगी समाजवादी पार्टी खुश नहीं थी।
कांग्रेस की उम्मीद को खैर उस समय झटका लगा जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने 68वें जन्मदिन पर आने वाला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा करदी। मेरी समझ मे मायावती के अकेले चुनाव लड़ने से भाजपा को लाभ होगा। बसपा का यह आंकलन बिल्कुल सही है कि गठबंधन की राजनीति के चलते उनका वोट शेयर घट रहा है। स्मरण रहे 2007 मे बसपा का वोट शेयर 30.43 था जो 2022 मे घट कर 12.88 रह गया है। इसके साथ ही उन्होने यह कह कर कि चुनाव के बाद उचित भागीदारी मिलने पर समर्थन दिया जा सकता है।उनके इस कथन के बाद उन अफवाहों को और तेज कर दिया है कि मायावती की राजनीति भाजपा के साथ मैच फिक्सिंग है। राजनैतिक विश्लेषक बसपा का अकेले चुनाव लड़ने को भाजपा की जीत और इंडिया गठबंधन की हार के रूप मे देख रहे है।
#आज_इतना_ही।