Editorial

*झारखंड_के_मुख्यमंत्री_गिरफ्तार_और_नहीं_बना_सके_पत्नी_को_मुख्यमंत्री*

 

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02 फरवरी 2024-(#झारखंड_के_मुख्यमंत्री_गिरफ्तार_और_नहीं_बना_सके_पत्नी_को_मुख्यमंत्री।)–

Tct chief editor

लगभग 10 बार ई.डी के समनो की अनदेखी करने के बाद आख़िरकार ई.डी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया है। स्मरण रहे वह ई.डी अधिकारियों के साथ राजभवन पहुंचे और अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंपा, जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया। संभवता पहली बार किसी सी एम को ऐसी स्थिति मे गिरफ्तार किया गया है। मेरी समझ मे संविधान निर्माताओं ने कल्पना भी नहीं की होगी कि कभी ऐसी स्थिति आएगी और वर्तमान मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करना पड़ेगा। धीरे-धीरे राजनीति मे ऐसे लोगो की संख्या बढ़ गई है जो राजनीति को व्यापार समझते है और पद को लूट का साधन बना लेते है। हेमंत सोरेन की योजना थी कि अपने बाद अपनी पत्नी कल्पना को झारखंड की कमान सौंप उसे बिहार की तर्ज पर झारखंड की राबड़ी बना दिया जाए। स्मरण रहे जब लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के चलते त्यागपत्र देना पड़ा था तो उन्होने अपने किसी सहयोगी पर विश्वास न करते हुए अपनी अनपढ़ और गृहिणी पत्नी राबड़ी को बिहार जैसी बड़ी स्टेट का मुख्यमंत्री बना दिया था। खैर हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सुशिक्षित है और अपने परिवार के व्यापार मे पुरी तरह सक्रिय है लेकिन विरोध को देखते हुए हेमंत सोरेन की मंशा पुरी नहीं हो सकी। उनका विरोध उनके घर से ही शिबु सोरेन की बड़ी बहु हेमंत की भाभी और तीन बार की विधायक की ओर से शुरू हुआ, फिर कुछ वरिष्ठ विधायक भी विरोध करने वाली सीता सोरेन का समर्थन करने लगे। इसके अतिरिक्त कल्पना का भी ई डी की जांच के दायरे मे होना दूसरा कारण था।

शिबु सोरेन के हनुमान कहे जाने वाले चंपाई सोरेन को अब विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। उन्होने सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के पास पेश कर दिया है और मेरी इस पोस्ट लिखे जाने तक वह राज्यपाल के सरकार के गठन हेतु बुलावे का इतंजार कर रहे है। ऐसे ही घटनाक्रम की उम्मीद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को लेकर की जा रही है। यदि यह सब कुछ दिल्ली मे भी होता है तो क्या केजरीवाल त्यागपत्र देगें। वह पहले ही विधायकों से प्रस्ताव पारित करवा चुके है और विधायकों ने उन्हे गिरफ्तार होने की सूरत मे जेल से भी दिल्ली का शासन चलाने के लिए अधिकृत कर दिया है। चर्चा यह भी है कि यदि उन्हे त्यागपत्र देना ही पड़ता है तो वह दिल्ली मे पढ़ी- लिखी अपनी पत्नी मे प्रयोग राबड़ी कर सकते है। अभी मद्रास हाईकोर्ट ने जेल मे बिना मंत्रालय के मंत्री पर टिप्पणी की है। कोर्ट का कहना था जब सरकारी कर्मचारी 48 घंटे जेल मे रहने के कारण निलंबित हो जाता है तो मंत्री अपवाद क्यों है। खैर मेरे विचार मे सरकार को संशोधन कर गिरफ्तार मंत्री या मुख्यमंत्री को गिरफ्तारी के तुरंत बाद राज्यपाल को बर्खास्त करने की शक्तियां प्रदान करनी चाहिए।

#आज_इतना_ही।

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