12 अप्रैल 2024-(#बाबा_रामदेव_और_आचार्य_बालकृष्ण_का_माफ़ीनामा_खारिज)–
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पतंजली के विवादित विज्ञापन केस मे बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के दूसरे माफीनामे को भी खारिज कर दिया है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण आयुर्वेद और योग की दुनिया के बड़े नाम है। वह असध्या बीमारियों के इलाज का दावा करते है। यह भी सही है कि दुनियाभर मे उनके करोड़ो प्रशंसक है और उनकी प्रेरणा से उन्होने योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। रामदेव आयुर्वेद और योग के अतिरिक्त परम्परागत भारतीय इलाज प्रणाली के माध्यम से लोगो का इलाज करने का दावा करते है। अपने दावो को प्रचारित करने के लिए वह बड़े- बड़े विज्ञापन जारी करते है। उनका यहां तक भी दावा है कि वह कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी का इलाज करने भी सक्ष्म है। कानून के दायरे मे हर किसी को अपनी उपलब्धियों का प्रचार करने का अधिकार है, लेकिन कानून मे कुछ बीमारियों के इलाज के दावे प्रतिबंधित है। उसमे कैंसर जैसी कई बीमारियां है।
रामदेव का आयुर्वेद के माध्यम से इलाज का दावा कितना सही है मै इस पर टिप्पणी करने के लिए सक्ष्म नहीं हूँ, लेकिन कैंसर जैसी जानलेवा बिमारी का इलाज करने वाले विज्ञापन और इलाज के दावे करने वाले अक्सर देखे जा सकते है। मेरे विचार मे ऐसे विज्ञापनो को निरुत्साहित करना जरूरी है। खैर आई. एम. ए ने रामदेव की दो बातों को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे दस्तक दी थी। वह उन बिमारियों के इलाज का दावा कर रहे है जिनका दावा करना प्रतिबन्धित है। दूसरा वह ऐलोपैथी पद्धति की भी आलोचना करते हुए उसके बारे मे भ्रामक बयानबाजी कर रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने आई एम ए की शिकायत का संज्ञान लेते हुए रामदेव और बालकृष्ण को नोटिस जारी किया और उनके विज्ञापनो के प्रति नाराजगी भी व्यक्त की है। नोटिस के साथ ही उन्हे कोर्ट मे पेश होने के भी आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा है कि उन्होने उस स्थिति से बचने का प्रयास किया जहां उनकी व्यक्तिगत पेशी जरूरी थी। हांलाकि रामदेव और बालकृष्ण ने अपनी बिना शर्त माफी प्रस्तुत की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी स्वीकार करने से इंकार कर दिया है।
कभी रामदेव और बालकृष्ण अपनी लोकप्रियता के शिखर पर थे। उस समय वह अपने को केवल आयुर्वेद और योग पर केंद्रित किए हुए थे। समय के साथ उनमे बड़ा परिवर्तन देखने को मिला और उन्होने अधिक समय अपने व्यवसायिक साम्राज्य को खड़ा करने मे लगा दिया। वह बड़े कॉरपोरेट का संचालन करते है। मेरी समझ मे कभी विनम्र योगी रहे रामदेव अब कोर्ट को और कानून को हल्के से ले रहे है। कोर्ट इसे अपनी जानबूझ कर की गई अवमानना मान रहा है और नाराज है। मेरे विचार मे मामला यहां तक नहीं आना चाहिए था। खैर अब भी समय है रामदेव और बालकृष्ण को कोर्ट के सामने स्वयं उपस्थित होकर अपनी सफाई देनी चाहिए।
#आज_इतना_ही।