*आसान_नहीं_होगी_नई_सरकार_की_डगर*
10 जून 2024- (#आसान_नहीं_होगी_नई_सरकार_की_डगर)–
जब आप मेरा ब्लॉग पढ़ रहे होंगे तब तक नई सरकार बन चुकी होगी। देश के प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी तीसरी बार शपथ ले चुके होंगे। जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार मंत्रीमंडल भी शपथ ले चुका होगा। मंत्रीमंडल का अवलोकन कर एक बात ध्यान मे आती है कि मंत्रीमंडल का गठन करते हुए भाजपा नेतृत्व अपने एन डी ए सहयोगियों के दबाव मे निर्णय लेने के लिए मजबूर था। उदाहरण के तौर पर एक सीट वाले जीतन राम मांझी को भी कैबिनेट मे जगह दी गई है। यह पहला सन्देश है कि नई सरकार की डगर आसान नहीं होगी। भाजपा ने चुनाव अभियान के समय नई सरकार का अपना ऐजंडा बताया था उसमे एक देश एक चुनाव और समान नागरिक आचार संहिता प्रमुख थे। आम धारणा थी कि नई सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून बना सकती है। इसके अतिरिक्त भाजपा नेताओं ने धर्म आधारित आरक्षण का पुरजोर विरोध किया था। मेरी समझ मे भाजपा को अपने सहयोगियों के दबाव उपरोक्त तीनो बातें ठंडे बस्ते मे डालनी पड़ सकती है। काबिले गौर है कि धर्म पर आधारित आरक्षण को लेकर भाजपा और जनतांत्रिक गठबंधन मे सहयोगी पार्टी तेलगू देशम पार्टी मे सैद्धांतिक मतभेद है। टी डी पी नेताओं के चुनाव परिणाम के बाद मुस्लिम आरक्षण के समर्थन मे ब्यान आ रहे है, जबकि भाजपा इसका हमेशा विरोध करती रही है।
मेरे विचार मे जातीय जनगणा को लेकर भी भाजपा और जेडीयू मे विवाद हो सकता है। जेडीयू पहले ही अग्निवीर योजना की समीक्षा की मांग कर चुका है। हालांकि कुछ विश्लेषकों का कहना है कि नरेंद्र मोदी अधिक समय तक दबाव मे काम नहीं करेंगे। वह आगे कहते है कि अमित शाह के नेतृत्व मे एक अनौपचारिक कार्य दल विरोध पक्ष मे सेंधमारी कर स्पष्ट बहुमत का जुगाड़ कर लेगा। खैर यह जुगाड़ अभी भविष्य के गर्भ मे है। लोकतंत्र मे असली ताकत जनसमर्थन से मिलती है। मेरे विचार मे इसी वर्ष महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड मे विधान सभा के चुनाव होगें। अगर इन चुनावों मे भाजपा का प्रदर्शन बेहतर होगा तो सहयोगियों के दबाव से कुछ हद तक मुक्ति मिल सकती है, लेकिन अगर प्रदर्शन खराब रहता है तो निश्चित तौर पर नई सरकार की डगर मुश्किल होगी।
#आज_इतना_ही।