Modi cabinet:- *मंत्रीमंडल_गठन_मे_नहीं_दिखाई_दे_रहा_है_सहयोगियों_का_दबाव*
12 जून 2024-(#मंत्रीमंडल_गठन_मे_नहीं_दिखाई_दे_रहा_है_सहयोगियों_का_दबाव)–
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद दुसरे ऐसे प्रधानमंत्री है जिन्होने लगातार तीसरी बार सत्ता संभाली है। 2014 और 2019 मे अकेले दम पर बहुमत मिल जाने के बावजूद भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ एन.डी.ए सरकार बनाई थी। इस बार 32 सीटें पीछे छूट जाने के चलते गठबंधन सरकार मजबूरी बन गई है। विश्लेषकों का मत है कि नई सरकार चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के समर्थन पर निर्भर है। वह अपनी शर्तों पर नरेंद्र मोदी को सरकार चलाने के लिए मजबूर कर सकते है। यह भी कयास लगाए जा रहे थे कि जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगियों के दबाव का रंग मंत्रीमंडल गठन के समय दिखाई दे सकता है। कहा जा रहा था कि चन्द्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार मंत्रीमंडल मे बड़ी हिस्सेदारी और महत्वपूर्ण मंत्रालय की मांग कर सकते है, लेकिन मेरी समझ मे अगर मंत्रिपरिषद पर नज़र डालें तो कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री अपनी पहली परीक्षा मे सफल रहे है। शपथ समरोह मे जनतांत्रिक गठबंधन के सभी घटक दलों के नेता मौजूद थे।
प्रतिष्ठित दैनिक के अनुसार मंत्रीमंडल मे प्रतिनिधित्व को लेकर किसी तरह की कोई नाराजगी सामने नहीं आई। एक अपवाद जरूर है कि मात्र एक लोकसभा सीट जीत पाए उप-मुख्यमंत्री अजित पवार की एन सी पी के प्रफुल्ल पटेल को स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री पद का ऑफर दिया गया था, जिसे अतीत मे कैबिनेट मंत्री रह चुके प्रफुल्ल ने अपना डिमोशन बताते हुए अस्वीकार कर दिया। लोकसभा चुनाव के बाद अजित पवार की महाराष्ट्र मे हैसियत कमजोर हुई है, इसलिए वह दबाव बनाने की स्थिति मे नहीं है। खैर भाजपा ने सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने पास रखकर यह सन्देश दिया है कि सरकार सभी सहयोगियों को सम्मान देगी लेकिन किसी की शर्त नहीं मानी जाएगी। मेरे विचार मे गठबंधन की सरकार मे हर रोज विवाद पैदा होते है और हर रोज उन्हे सुलझाना पड़ता है। अगर आंकडो का अवलोकन किया जाए तो यह बात समझ आती है कि भले भाजपा की संख्या कम हुई है लेकिन आज के गणित मे वह ही सरकार बनाने और चलाने मे सक्षम है। वैकल्पिक प्रतिपक्ष की सरकार पहले बनाना मुश्किल और फिर चलाना और भी मुश्किल होगा। शायद यह बात नीतीश और चन्द्रबाबू नायडू भी भलीभाँति जानते है।
#आज_इतना_ही।