*विश्वकप_की_जीत_का_जश्न #हेमांशु_मिश्रा*
#विश्वकप_की_जीत_का_जश्न
#हेमांशु_मिश्रा
कल देर रात
बादलों को
फिर
नाचते
गाते
थिरकते देखा है।
एक साथ
बहार
फुहार
मल्हार
मनुहार
गाते गुननगुनाते देखा है।
दूर बर्बोडस से
बहती भावनाओं को
बादलों के साथ
बहते हुए देखा है।
बादलों की तरह
भारत को खुशी में
एक स्वर में
चिल्लाते हुए देखा है।
बादलों में कल
कोहली से स्थिरता
अक्षर सा जज्बा
दुबे सी फुर्ती थी
तो
अर्शदीप सा पैनापन
बुमहरा सी चपलता
हार्दिक सा जोश था।
सूर्य कुमार के कैच से
जज़्बात बदलते
मैच पलटते देखा है
मैंने कल
बादलों को
चाल बदलते देखा है।
बादलों में
कल टीम सी जुगलबन्दी थी
बादल
कल खेल रहे थे
मन से
एकजुट
जीतने की जिजीविषा लिए
निभा रहे थे
अपनी अपनी भूमिका
लड़ रहे थे
अपनी अपनी लड़ाई
कोचिंग स्टाफ से लेकर
बैंच तक
जोश खरोष था
कल बादलों में
जीतने के लिए पर्याप्त होश था।
द्रविड़ की निशानी में
रोहित की कप्तानी में
सब को मालूम थी
अपनी अपनी ताकत
टीम इंडिया में थी गजब की कसक
बादलों में भी देखी थी जीत की ठसक
कल बादलों में
जीत के अश्रु बहते हुए देखे थे।
भारत के वीर
खेल रहे थे
बादलों की तरह
गरजते बरसते
कभी धीमे तो कभी तेज़
कल बादलों को
विश्वकप की जीत का जश्न
मनाते देखा है।
भारत को देर रात
झूमते गाते
दीवाली मनाते देखा है।