Himachal:*सुख्खू_सरकार_का_आत्मनिर्भर_हिमाचल_का_मास्टर_प्लान* M N Sofat
27 जुलाई 2024– (#सुख्खू_सरकार_का_आत्मनिर्भर_हिमाचल_का_मास्टर_प्लान)-
प्रतिष्ठित दैनिक मे छपी रिपोर्ट मे सुख्खू सरकार के प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उठाए जाने वालो कदमों को बताया गया है। इस सन्दर्भ मे सरकार ने रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी का भी गठन किया है। मेरी समझ मे संसाधन जुटाना और मितव्ययता करना किसी प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक ही सिक्के के दो पहलू है। अभी तक इस सरकार की जो छवि बनी वह है रिसोर्स मोबिलाइजेशन के नाम पर जनता पर भार बढ़ाने वाली सरकार की है। यह बात दर्ज करने काबिल है कि सरकार बनते ही डीजल पर 6 रूपए प्रति लीटर वैट बढ़ा दिया गया था। अब अधिकांश लोगो को पिछली सरकार के समय से दी जाने वाली फ्री बिजली बंद कर दी गई है। कई प्रकार के होने वाले रजिस्ट्रेशन या रेस्ट और गैस्ट हाऊस के कमरों के रेट बढ़ा दिए गए है। इतना ही नही छात्रों के टी ई टी फीस भी दुगनी कर दी गई है। मेरा सरकार के अपने विवेक से उठाए गए इन कदमों का विरोध नहीं है लेकिन असली रिसोर्स मोबिलाइजेशन उसे माना जाता है जिससे आम आदमी के आर्थिक बोझ मे बढ़ौतरी न हो। जैसे कि शांता कुमार जी के नेतृत्व मे भाजपा सरकार ने केन्द्र की कांग्रेस सरकार से बिजली पर रायल्टी मंजूर करवाई थी।
खैर इस रिपोर्ट मे केन्द्र से बी बी एम वी से 4500 करोड़ और एन पी एस के आठ हजार करोड़ लेने की बात की गई है। मेरे विचार मे दोनो के लिए केंद्र से तालमेल करना होगा या फिर कड़ा संघर्ष करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। एन पी एस के पैसे की मांग को नियमो के हवाले के साथ केन्द्र पहले ही खारिज कर चुका है। मितव्ययता की बात करें तो अभी तक इस सरकार की छवि एक फिजूल खर्च सरकार की है। हालांकि मेरे पास फिजूल खर्ची के बारे मे विस्तृत जानकारी नहीं है, लेकिन इस छवि को बनाने के लिए कैबिनेट रैंक के साथ की गई राजनैतिक नियुक्तियों ने कारगर भूमिका अदा की है। हिमाचल मे सरकारी गाड़ियों पर बहुत फिजूल खर्च होता है। 1990 मैने बतौर अध्यक्ष मितव्ययता समिति गाड़ियों के इस फिजूल खर्च को कम करने के लिए सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। जिसे तत्कालीन सरकार की कैबिनेट ने स्वीकार करते हुए लागू करने का निर्णय किया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने आते ही उस निर्णय को रद्द कर दिया था। मेरा मानना है कि प्रदेश आर्थिक संकट से गुजर रहा है इसके लिए प्रदेश की जनता को विश्वास मे लेना होगा। मेरे विचार मे सबसे पहले मितव्ययता के नियम को मुख्यमंत्री और मंत्रीमंडल के सदस्यों को अपने ऊपर लागू करना होगा, फिर विधायको और अफसर को भी अपनी कुछ सरकारी सुविधाओं का प्रदेश हित मे त्याग करना होगा।
मेरा विनम्रतापूर्वक मुख्यमंत्री जी को सुझाव है कि वह एक वर्ष के लिए हेलीकाप्टर का प्रयोग बंद कर सकते है। इससे भले सांकेतिक ही सही एक सकारात्मक सन्देश प्रदेश की जनता मे जाएगा। उसके बाद शांता सरकार के उस प्रयोग को दोहराया जा सकता है जब शुक्रवार शाम से लेकर सोमवार सुबह तक अफसरों को आपातकालीन सेवाओं के अतिरिक्त सरकारी गाडियों के प्रयोग पर प्रतिबंध था। खैर मेरे विचार मे हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सबसे पहले ईमानदार नियत की जरूरत है। इसके लिए कड़े फैसलो के साथ गंभीर प्रत्यन करने होगें, अन्यथा आत्मनिर्भर हिमाचल के नारे की हवा भी व्यवस्था परिवर्तन के नारे की तरह निकल सकती है।
#आज_इतना_ही।