*पालमपुर नगर निगम की लापरवाही! कभी भी गिर सकती हैं सोलर लाइटें – सरकार को लग सकता है हज़ारों का चूना, जनता खतरे में!*
क्या पार्षद लोग केवल चुनाव के दौरान ही वार्ड की गलियों में घूमते हैं आगे पीछे नहीं


पालमपुर नगर निगम की लापरवाही! कभी भी गिर सकती हैं सोलर लाइटें – सरकार को लग सकता है हज़ारों का चूना, जनता खतरे में!

पालमपुर (संवाददाता): हिमाचल प्रदेश के पालमपुर शहर में नगर निगम की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। शहर की सड़कों पर लगी सोलर लाइटें खस्ताहाल अवस्था में हैं और कभी भी गिर सकती हैं। एक ऐसी ही सोलर लाइट की फोटो सामने आई है जो पूरी तरह से झुक चुकी है और गिरने की कगार पर है। हैरानी की बात यह है कि यह स्थान नगर निगम के अधिकारियों, पार्षदों, मेयर और डिप्टी मेयर के रोज़ आने-जाने के रास्ते में है – बावजूद इसके किसी की नजर इस गंभीर खतरे पर नहीं पड़ी, या फिर जानबूझकर अनदेखा किया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है। नगर निगम हो या राज्य सरकार का कोई भी विभाग – ज़मीनी स्तर पर काम करने की मानसिकता का पूरी तरह अभाव है। छोटी-छोटी समस्याएं जैसे टूटी सड़कें, खुले मैनहोल, या झुकी हुई स्ट्रीट लाइट्स – ये सब जनता के लिए रोज़ का सिरदर्द बन चुकी हैं। मात्र ₹200 से ₹500 के खर्च से हल होने वाली समस्याएं महीनों यूं ही पड़ी रहती हैं। किसी के अपंग होने या जान जाने की नौबत आ जाए तब भी प्रशासन की नींद नहीं खुलती।
अगर यह सोलर लाइट गिरती है, तो एक नहीं दो-दो लाइटों के गिरने से सरकार को करीब ₹30,000 का नुकसान होगा। यह पैसे जनता के टैक्स से आते हैं – लेकिन इसकी किसी को परवाह नहीं। अधिकारी बड़ी-बड़ी गाड़ियों में आते हैं, स्थिति को देखते हैं, और आगे बढ़ जाते हैं। कोई ठोस कार्रवाई नहीं, कोई जवाबदेही नहीं।
क्या लोकतंत्र में जवाबदेही सिर्फ आम जनता के लिए है?
क्या पदाधिकारी सिर्फ नाम के लिए हैं, काम के लिए नहीं?
क्या किसी के घायल होने का इंतजार किया जा रहा है?
अब सवाल यह है कि क्या नगर निगम चेतेगा या फिर एक और हादसे का इंतजार करेगा? प्रशासन को चेत जाना चाहिए, क्योंकि अगली बार ये लापरवाही किसी मासूम की जान ले सकती है – और तब यह चुप्पी बेहद महंगी साबित होगी।
विश्वास का प्रतीक बुड्ढा मल ज्वेलर्स पालमपुर

