*इंजीनियर एच.एस. ठाकुर का मुख्यमंत्री राहत कोष में ₹20,000 का सराहनीय योगदान*


*इंजीनियर एच.एस. ठाकुर का मुख्यमंत्री राहत कोष में ₹20,000 का सराहनीय योगदान*

पालमपुर, 14 जुलाई:
कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के पूर्व संपदा अधिकारी इंजीनियर एच.एस. ठाकुर ने एक बार फिर अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और मानवीय संवेदनशीलता का परिचय देते हुए मुख्यमंत्री राहत कोष में ₹20,000 का उदार योगदान दिया है। यह राशि मंडी जिले में आई हालिया बाढ़ से प्रभावित लोगों के पुनर्वास और सहायता कार्यों में उपयोग के लिए एसडीएम नेत्रा मैती को चेक के माध्यम से सौंपी गई।
एक निष्ठावान और सिद्धांतप्रिय अधिकारी इंजीनियर ठाकुर का यह कदम न केवल उनकी उदारता, बल्कि उनके चरित्र की दृढ़ता और समाज के प्रति समर्पण को भी दर्शाता है। वह एक ऐसे अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने अपने पूरे करियर में नियमों और सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी जटिल क्यों न रही हों, उन्होंने हमेशा विश्वविद्यालय के हितों को सर्वोपरि रखा। उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के कारण कई बार उन्हें विरोध और कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन वह कभी अपने मार्ग से विचलित नहीं हुए।
एसडीएम नेत्रा मैती ने इंजीनियर ठाकुर के इस पुण्य कार्य की सराहना करते हुए कहा, “इंजीनियर ठाकुर का यह योगदान बाढ़ पीड़ितों के लिए एक महत्वपूर्ण सहायता साबित होगा। उनका यह नेक कदम समाज में सेवा और सहयोग की भावना को प्रेरित करता है।”* उन्होंने आगे कहा कि ठाकुर साहब जैसे लोग ही समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने का माध्यम बनते हैं।
आपको बता दें कि
अपने कार्यकाल के दौरान, इंजीनियर ठाकुर ने विश्वविद्यालय के विकास और प्रगति में अहम भूमिका निभाई। उनके कठोर अनुशासन, पारदर्शिता और निष्पक्ष निर्णयों के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन में उनका सम्मान था। वह हमेशा छात्रों और कर्मचारियों के हितों के लिए प्रयासरत रहे, भले ही इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा हो।
इंजीनियर ठाकुर के इस नेक कार्य की सराहना न केवल प्रशासनिक स्तर पर, बल्कि आम जनमानस में भी की जा रही है। लोग उनके इस सामाजिक सरोकार और मानवीय दृष्टिकोण के लिए उन्हें सलाम कर रहे हैं। उनका यह कदम यह साबित करता है कि सेवा और सहानुभूति की भावना किसी भी पद या स्थिति से ऊपर होती है।

इंजीनियर एच.एस. ठाकुर ने अपने जीवन और कार्यशैली से यह सिद्ध किया है कि सच्चा नेतृत्व नियमों की दृढ़ता और मानवीय संवेदना का समन्वय होता है। उनका यह योगदान न केवल बाढ़ पीड़ितों के लिए एक वरदान है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी। उनके जैसे व्यक्तित्व ही समाज को नई दिशा देते हैं और सच्चे अर्थों में ‘रोल मॉडल’ बनते हैं।