*डॉ. मेघा सोंधी – समर्पण, संवेदनशीलता और चिकित्सा नैतिकता की मिसाल*
मरीजों के लिए संवेदनशीलता और चिकित्सा नैतिकता की मिसाल बनीं डॉ. सोंधी, जिनके जाने से पालमपुर में खालीपन और निराशा का माहौल


डॉ. मेघा सोंधी – समर्पण, संवेदनशीलता और चिकित्सा नैतिकता की मिसाल

पालमपुर के सिविल अस्पताल के स्किन विभाग से हाल ही में डॉ. मेघा सोंधी का ट्रांसफर उच्च अध्ययन (Higher Studies) के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, टांडा (कांगड़ा) में हुआ है। उनके जाने के बाद स्किन विभाग पूरी तरह खाली हो गया है और इस कमी का असर सीधे मरीजों पर पड़ा है।
अपने कार्यकाल में डॉ. मेघा सोंधी ने स्किन विभाग को हमेशा सक्रिय, व्यवस्थित और भरोसेमंद बनाए रखा। प्रतिदिन औसतन 100 से अधिक मरीजों की ओपीडी संभालना — और कई बार यह संख्या 140 तक पहुंच जाना — किसी भी डॉक्टर के लिए चुनौती है, लेकिन डॉ. सोंधी ने इसे सहजता और धैर्य से निभाया। थकान या चिड़चिड़ापन उनके स्वभाव में कभी झलकता नहीं था। मरीजों के साथ उनका संवाद हमेशा शांत, विनम्र और आत्मीय रहा।
चिकित्सा नैतिकता की मिसाल
डॉ. सोंधी ने अपने प्रोफेशन में मेडिकल एथिक्स को हमेशा प्राथमिकता दी।
उन्होंने कभी भी अनावश्यक टेस्ट या महंगी दवाइयों का बोझ मरीज पर नहीं डाला।
दूर-दराज से आने वाले मरीजों का खास ख्याल रखा, ताकि उन्हें बार-बार आना न पड़े।
कभी भी बिना वजह लंबी तारीख नहीं दी, बल्कि जल्द से जल्द मरीज को ठीक करने का प्रयास किया।
इलाज के दौरान मरीज की गोपनीयता और आत्मसम्मान का पूरा ध्यान रखा।
मरीजों के अनुभव
एक युवती, जो पिछले साल गंभीर स्किन इंफेक्शन व मुहासों से परेशान थी, ने बताया कि —मैंने कई जगह इलाज करवाया लेकिन बार-बार इंफेक्शन लौट आता था मुहांसे तो जा ही नही रहे थे। डॉ. मेघा सोंधी ने न सिर्फ मुझे सही इलाज दिया, बल्कि विस्तार से बताया कि मुझे किन चीज़ों से बचना है। सिर्फ तीन हफ्ते में मेरी स्किन पूरी तरह ठीक हो गई व मुहांसे गायब हो गए।उनके धैर्य और ध्यान से सुनने की आदत ने मुझे बहुत भरोसा दिया।”
वहीं, एक 55 वर्षीय मरीज का अनुभव और भी खास है।
“मैंने चंडीगढ़ और जालन्धर लुधियाना के बड़े अस्पतालों में हजारों रुपये खर्च किए, लेकिन आराम नहीं मिला। जब पालमपुर में डॉ. सोंधी से मिला, तो उन्होंने मेरी बीमारी को तुरंत पहचान लिया और एक साधारण इलाज शुरू किया। आज मैं पूरी तरह ठीक हूं। मुझे पहली बार लगा कि डॉक्टर इलाज से ज्यादा इंसानियत भी देते हैं।”
डॉ. मेघा सोंधी के जाने से पालमपुर के मरीजों में भारी निराशा है। लोग उनकी पेशेवर निष्ठा, मरीजों के प्रति संवेदनशीलता और उत्कृष्ट कार्यशैली की खुलकर सराहना कर रहे हैं। वह सिर्फ एक डॉक्टर नहीं, बल्कि एक सच्ची सेविका रही हैं, जिन्होंने अपने प्रोफेशन को सेवा और समर्पण की भावना के साथ जिया।