Himachalदेश

Editorial:-आवारा_कुत्तो_की_तर्ज_पर_ही_होनी_चाहिए_सुप्रीम_कोर्ट_मे_आदमी_की_सुनवाई) लेखक: महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश

Tct

17 अगस्त 2025- (#आवारा_कुत्तो_की_तर्ज_पर_ही_होनी_चाहिए_सुप्रीम_कोर्ट_मे_आदमी_की_सुनवाई)–

सुप्रीम कोर्ट के प्रति आमजन को सबसे बड़ी शिकायत है कि मुकदमो की सुनवाई वर्षों लटकी रहती है। किसी भी मुकदमे के लिए जल्दी पीठ का ही गठन नही हो पाता है, लेकिन अभी हाल ही मे त्वरित पीठ का गठन और सुनवाई का दिलचस्प उदहारण सुप्रीम कोर्ट मे सामने आया है, लेकिन यह मुकादमा इंसानो से जुड़ा न होकर आवारा कुत्तो से जुड़ा हुआ था। स्मरण रहे अभी हाल ही मे स्वयं संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ जिसके न्यायमूर्ति जे.बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन सदस्य थे ने 11 अगस्त को दिल्ली एन.सी.आर मे सभी कुत्तो को सड़को से हटाकर जल्द से जल्द आश्रय स्थलो पर स्थाई रूप से स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे। खैर प्रतिष्ठित अखबार की रिपोर्ट के अनुसार देशभर मे इस निर्देश का व्यापक विरोध हुआ। सोशल नेटवर्किंग पर तो लोगो ने विरोध किया ही लेकिन कहा जा रहा है कि देश भर मे लाखो डॉग लवर ने सड़को पर विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट को आवारा कुत्तो से जुड़ा मामला बड़ी पीठ को भेजने के लिए बाध्य होना पड़ा। काबिलेगौर है कि 13 अगस्त को ही तीन सदस्यीय बड़ी पीठ का गठन कर दिया गया। जिसमे न्यायमूर्ति विक्रम नाथ,न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति वी अंजारिया को मनोनीत किया गया। इतिहास मे पहली बार नई बनी पीठ ने अगले ही दिन 14 अगस्त को इस कथित अति महत्वपूर्ण मुकदमे की सुनवाई भी शुरू कर दी और दो सदस्यीय पीठ के निर्देशो पर रोक लगाने की अर्जी पर सुनवाई कर निर्णय सुरक्षित रख लिया गया।

यह बात दर्ज करने काबिल है कि इस पीठ के सामने दिल्ली सरकार ने बताया कि कुत्तो के काटने से रैबीज के कारण बच्चो की मौत हो रही है और आवारा कुत्तो के मुद्दे को सुलझाने की जरूरत है न कि इस पर विवाद करने की। अदालत को सूचित किया गया कि एक साल मे देश भर मे कुत्तो के काटने के 37 लाख से अधिक मामले सामने आए है। मेरी समझ मे यह बड़ी संख्या है और बच्चों या वरिष्ठ नागरिको के जीवन की कीमत पर इन कुत्तो को आवारा घूमने की छूट नही दी जा सकती है। मेरे ब्लॉग का सुझाव है कि देश मे लाखों आवारा कुत्ते है और लाखों ही कुत्ते प्रेमी है। अगर यह लाखों डॉग लवर इन लाखों आवारा कुत्तो को गोद लेकर पाल ले तो इस समस्या का सरलता से हल निकल सकता है। इस सारे प्रकरण मे सुप्रीम कोर्ट की बिजली की गति से काम करने की क्षमता और दक्षता सामने आई है। काश कोर्ट ने जैसी त्वरित कार्रवाई आवारा कुत्तो के मुद्दे पर की है वैसी ही त्वरित कार्रवाई इंसानो के मुद्दे अथवा मुकादमो मे की जाती।

Mohinder Nath Sofat Ex.Minister HP Govt.

#आज_इतना_ही।

 

Ad.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button