Editorial *नाले का गला घोंटता अतिक्रमण*


संपादकीय
नाले का गला घोंटता अतिक्रमण

पालमपुर बस स्टैंड से घुघर की ओर जाते समय आईपीएच कार्यालय और यामिनी होटल के नीचे बहने वाला नाला कभी इस क्षेत्र की जीवनधारा माना जाता था। यह नाला न केवल साफ-सुथरा और चौड़ा था, बल्कि बरसाती पानी के निकास के लिए भी पर्याप्त था। हममें से कई लोग अपने बचपन की स्मृतियों में इसकी सहज और स्वच्छ धारा को अब भी याद करते हैं।
दुर्भाग्य है कि आज वही नाला भारी अतिक्रमण की मार झेल रहा है। स्थानीय स्तर पर जगह-जगह किए गए निर्माण और अतिक्रमण ने इसके प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर दिया है। नतीजा यह है कि बरसात के मौसम में यह नाला अब राहत के बजाय भय का कारण बनने लगा है। प्रशासन की लापरवाही और स्थानीय स्वार्थों की मिलीभगत ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
सामान्यत: कहा जाता है कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं, परंतु अगर प्रशासन ने समय रहते चेतावनी नहीं ली तो यह नाला किसी भी दिन आपदा का रूप लेकर जान-माल की भारी हानि का कारण बन सकता है। नगर की सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन दोनों इसी पर निर्भर करते हैं।
अब वक्त आ गया है कि प्रशासन कड़े कदम उठाए और अतिक्रमण को हटाकर इस नाले को उसकी मूल अवस्था में बहाल करे। यह सिर्फ नाले को बचाने का मामला नहीं है, बल्कि पालमपुर की सुरक्षा, स्वच्छता और आने वाली पीढ़ियों के हित का सवाल है।
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