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*डॉ. लेखराज – सेवा और संवेदना का पर्याय*

“ईमानदारी, करुणा और सेवा के पर्याय हैं डॉ. लेखराज। जीवनभर उन्होंने लोगों के दर्द को अपना समझा, जेब से दवाइयाँ दीं, मदद का हाथ बढ़ाया। शनि सेवा सदन के दानिश सज्जन, निर्णायक मंडल के स्तंभ और मार्गदर्शक बनकर वे समाज को नई दिशा देने वाले प्रेरणास्रोत हैं।”

 

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डॉ. लेखराज – सेवा और संवेदना का पर्याय

इंसानियत का चेहरा, समाज की ताक़त और शनि सेवा सदन का मार्गदर्शक

Tct ,bksood, chief editor

समाज में कभी-कभी ऐसे व्यक्तित्व सामने आते हैं जो अपने जीवन से दूसरों को प्रेरणा देने का काम करते हैं। खलेट मारंडा के निवासी डॉ. लेखराज एक ऐसे ही नाम हैं। डॉक्टर होकर भी उन्होंने कभी पेशे को व्यवसाय नहीं बनने दिया, बल्कि इसे सेवा और मानवता की साधना बना दिया। उनका विश्वास था कि दवा सिर्फ़ शरीर का इलाज करती है, लेकिन डॉक्टर की संवेदनशीलता आत्मा को सुकून देती है।

अपने सरकारी कार्यकाल में उन्होंने मरीजों को हमेशा परिवार जैसा मानकर सेवा की। दूर-दराज़ के गाँवों चढ़ी घरोह, चढ़िआर और रज्जहूं से आने वाले मरीज जब अस्पताल पहुँचते तो यही पूछते – “क्या यह वही डॉक्टर हैं जो वैध रूप लाले दा जातक हैं, क्या यह हंसराजे दा भाई हैं?” और इस प्रश्न में ही जनता का गहरा विश्वास छुपा होता था। उस विश्वास को कायम रखने के लिए उन्होंने कई बार अपनी जेब से दवाइयाँ खरीदीं, तनख्वाह और निजी धन से अस्पताल की ज़रूरतें पूरी कीं और हर मरीज को यह भरोसा दिया कि वह अकेला नहीं है।

उनकी संवेदनशीलता और भावुकता इतनी गहरी थी कि किसी की पीड़ा देखकर वे विचलित हो जाते और तुरंत सहायता के लिए आगे आते। यही भाव उन्हें अलग पहचान देती रही। सेवानिवृत्ति के बाद भी यह जज़्बा कम नहीं हुआ, वे आज भी अपनी पेंशन से गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करते हैं। उनका स्पष्ट मानना है कि दूसरों की सहायता करना ही जीवन का परम कर्तव्य है।

शनि सेवा सदन में उनका योगदान अत्यंत उल्लेखनीय है। वे संस्था के दानिश सज्जन, निर्णायक मंडल के सदस्य और प्रबंधन के लिए मार्गदर्शक हैं। मैनेजमेंट कई बार उनके अनुभव और विचारों पर निर्भर करता है। शनि सेवा सदन का हर कार्य उनके मार्गदर्शन और सहयोग से सम्पन्न होता है। उनके सुझाव संस्था के लिए प्रकाश स्तंभ की तरह हैं।

उनके व्यक्तित्व में एक अच्छे इंसान के सभी गुण हैं – सादगी, ईमानदारी, विनम्रता, सबको सम्मान देना, समाज और बिरादरी को जोड़ना तथा हर किसी की सफलता और दुख में सहभागी होना। एक अच्छे डॉक्टर के रूप में उनकी धैर्यशीलता, सहानुभूति और मरीज को परिवार जैसा मानने की सोच उन्हें विशिष्ट बनाती है। वहीं एक भावुक इंसान के रूप में उनकी करुणा और संवेदनशीलता उन्हें समाज का आधार स्तंभ बनाती है।

धार्मिक दृष्टि से वे उतने ही समर्पित हैं। ईश्वर में गहरी आस्था रखते हैं, पूजा-पाठ में भाग लेते हैं और बच्चों को भी यही संस्कार देते हैं कि “दूसरों की मदद करना ही सबसे बड़ा धर्म है।”

आज डॉ. लेखराज न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि असली महानता पद, दौलत या सत्ता में नहीं, बल्कि सेवा, दया और ईमानदारी में है। वे डॉक्टर होकर भी सिर्फ़ इलाज करने वाले नहीं रहे, बल्कि इंसानियत की सबसे बड़ी पहचान बने। शनि सेवा सदन उनके योगदान और मार्गदर्शन पर गर्व करता है और समाज उन्हें प्रेरणा के स्रोत के रूप में देखता है।

डॉ. लेखराज वास्तव में सेवा, संवेदना और ईमानदारी का जीता-जागता उदाहरण हैं। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि जब इंसान दूसरों के लिए जीता है तो वह खुद भी अमर हो जाता है।

 

बी.के. सूद चीफ़ एडिटर –
ट्राई सिटी टाइम्स

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