शख्शियत

*अमेरिका की लाखों की नौकरी छोड़ी, सरकार से सिर्फ ₹1 लिया -गोकुल बुटेल की मिसाल*”

“जनसेवा को चुना, लाखों का वेतन छोड़ा: गोकुल बुटेल ₹1 में संभाल रहे महीना भर की बड़ी ज़िम्मेदारी”

 

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बुटेल देते हैं ₹1 में महीनेभर सलाह: अमेरिका की लाखों की नौकरी छोड़कर प्रदेश सेवा को चुना

Tct ,bksood, chief editor

पालमपुर। ट्राई सिटी टाइम्स न्यूज़
हिमाचल प्रदेश के सूचना प्रौद्योगिकी सलाहकार गोकुल बुटेल सादगी, पारदर्शिता और जनसेवा की मिसाल बनकर उभरे हैं। उन्होंने न केवल अमेरिका की लाखों रुपये मासिक आय वाली नौकरी छोड़ी, बल्कि यहां सरकार द्वारा मिलने वाला वेतन भी स्वेच्छा से त्याग दिया। बुटेल ने स्वयं निर्णय लिया कि वे सरकार से केवल ₹1 का सांकेतिक मानदेय स्वीकार करेंगे। यह कदम उनकी नीयत, त्याग और प्रदेशहित के प्रति समर्पण का स्पष्ट परिचायक है।

अमेरिका की ऊंची सैलरी छोड़कर जनसेवा का मार्ग अपनाना आसान नहीं था। सूत्र बताते हैं कि गोकुल बुटेल अमेरिका में एक प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत थे, जहां न केवल वेतन ऊंचा था, बल्कि पेशेवर प्रतिष्ठा भी सर्वोच्च स्तर पर थी। इसके बावजूद उन्होंने यह तय किया कि उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभव का वास्तविक उपयोग हिमाचल की डिजिटल प्रगति और जनता के हित में होना चाहिए। इसी सोच ने उन्हें अमेरिका की नौकरी छोड़कर हिमाचल लौटने और पूरी निष्ठा से सरकारी कार्य में योगदान देने के लिए प्रेरित किया।

गोकुल बुटेल न केवल तकनीकी विशेषज्ञ हैं बल्कि एक सफल बिजनेसमैन भी हैं। जानकार बताते हैं कि यदि वे अपना पूरा समय व्यवसाय को दें तो भारी आर्थिक लाभ कमा सकते हैं, मगर उन्होंने जनहित, लोकहित और प्रदेशहित को ही अपने जीवन का केंद्र बनाया है। व्यवसायिक लाभ की संभावनाओं के बावजूद उन्होंने समाज और प्रदेश की सेवा को प्राथमिकता दी—यह त्याग आज के समय में अत्यंत दुर्लभ है।

सरकारी सुविधाओं और देय राशियों के मामले में भी बुटेल पूर्ण पारदर्शिता का पालन करते हैं। जो भी राशि उन्हें देय होती है, वह स्वयं सरकार के पास जमा करवाते हैं। उनके लिए पद न विशेषाधिकार है और न ही सुविधा का द्वार, बल्कि यह जिम्मेदारी और जवाबदेही का माध्यम है। प्रशासनिक हलकों में उनके इस आचरण की व्यापक सराहना होती है।

हिमाचल के डिजिटल ढांचे को आधुनिक और प्रभावी बनाने में बुटेल के प्रयास अहम भूमिका निभा रहे हैं। वह ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं जिनसे प्रशासनिक प्रक्रियाएं सरल, तेज और पारदर्शी बनें—जैसे एकीकृत डिजिटल सर्विस प्लेटफॉर्म, रियल-टाइम ट्रैकिंग, पेपरलेस फाइलिंग और सुरक्षित एआई इंटीग्रेशन। वह सरकारी कामकाज में जहां भी संभव हो, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को अपनाने पर जोर देते हैं। इसी प्रभावशाली कार्यशैली और नवाचारी सोच ने उन्हें हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के सबसे विश्वस्त और प्रिय सलाहकारों में स्थान दिलाया था।

2014–17 के अपने पिछले कार्यकाल में भी बुटेल ने ईमानदारी, दक्षता और प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था। वर्तमान कार्यकाल में उन्होंने न केवल विदेश की ऊंची आय छोड़ी, बल्कि सरकार द्वारा मिल रहा वेतन भी स्वयं त्यागकर यह साबित कर दिया कि उनके लिए काम से बड़ा कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं है। उनका यह कदम एक बड़ी कुर्बानी है और उन्हें एक आदर्श सार्वजनिक सेवक के रूप में स्थापित करता है।

गोकुल बुटेल का निर्णय स्पष्ट करता है कि पद से बड़ा उद्देश्य होता है—और उन्होंने वही उद्देश्य चुना। उनका जीवन और कार्यशैली बताती है कि जनसेवा का मूल्य वेतन से नहीं, नीयत और समर्पण से तय होता है।

 

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