*श्री योग वेदांत सेवा समिति पालमपुर से जुड़ी महिलाओं ने बापू आसाराम की रिहाई की मांग की*
श्री योग वेदांत सेवा समिति पालमपुर से जुड़ी महिलाअाें ने मंगलवार काे
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बापू अाशा राम काे निर्दाेष करार देते हुए
शीघ्र रिहाई की मांग की है। उन्हाेंने एसडीएम की अनुपस्थिति में नायब
तहसीलदार के माध्यम से राष्ट्रपति काे प्रेषित ज्ञापन में कहा कि भारतीय
संस्कृति की रक्षा में जुटे निर्दोष संतों पर झूठे आरोप लगाकर, बदनाम
करने के जघन्य अपराध हो रहे हैं। प्रचार माध्यमों का दुरुपयोग कर इनकी
छवि धूमिल की जा रही है। उन्हाेंने उदाहरण देते हुए चिंता जताई कि कांची
कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी को झूठे केस में फंसाकर
कारागास में डाला गया जबकि 9 वर्षाें के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें
आदरपूर्वक बरी किया। इसी प्रकार से साध्वी प्रज्ञा व अन्य संतों को झूठे
व बेबुनियाद मामलों में फंसाकर भारतीय संस्कृति को कमजोर करने की पुरजोर
कोशिश हुई। वहीं पिछले 57 वर्षों से समाज व देश में संयम, सदाचार, सत्य,
धर्म, शांति, मानवता व नैतिक मूल्यों की पुनःस्थापना करने वाले एवं
करोड़ों लोगों की श्रद्धा के केन्द्र व निष्काम कर्मयोगी के प्रणेता संत
आशाराम बापू को भी षड्यंत्र के तहत झूठे आरोपों में फंसाकर आजीवन कारावास
की सजा सुनाई गई है। बहुत ही चिंताजनक है कि कई गंभीर रोगों से ग्रस्त 84
वर्षीय पूज्य बापूजी को लम्बे अंतराल में भी राहत नहीं दी गई। उन्हाेंने
कहा कि देशद्रोहियों, आतंकवादियों, हत्यारों के मानवाधिकारों की चिंता
करने वाले स्वामी विवेकानंद जी के 100 वर्ष बाद सन् 1993 में शिकागो की
‘विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया, उनके मानवाधिकारों की
कोई चिंता नहीं हाे रही है। हाल ही में वेटिकन पोप विशप फ्रैंको के
दुष्कर्म के कई प्रमाण होने के बावजूद बा-इज्जत बरी किया गया, जबकि बापू
जी के केस में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है। उन्हाेंने याद दिलाया कि
कुछ दिन पहले संविधान दिवस पर अपने संबोधन में भारत के मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति एनवी रामन्ना ने भी कानून बनाने के बाद समाज पर पड़ने वाले
प्रभाव की समीक्षा काे नकारने पर चिंता जताई थी। महिलाअाें ने सरकार ने
समाज, राष्ट्र व भारतीय संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन में संत आशाराम
बापू को शीघ्रातिशीघ्र ससम्मान रिहा करने की मांग उठाई है।