*पाठकों के लेख:#रॉकेट्री: #द_नंबी_इफेक्ट #differentperspectives #हेमांशु #मिश्रा
#रॉकेट्री: #द_नंबी_इफेक्ट
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#हेमांशु #मिश्रा
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या , चीफ ऑफ डिफेन्स सर्विसेज विपिन रावत की दुर्घटना में मौत , विक्रम साराभाई की मौत , होमी जहांगीर भाभा, एस श्रीनिवासन, तपन मिश्र की मौत के साथ कितने ही इसरो के वैज्ञानिक रहस्यमयी तरीके से मृत्यु, वर्ष 2010 में छपे एक लेख में यह आंकड़ा 680 के आस पास बताया गया था । यह सब साजिश थी, यह आज तक रहस्य है लेकिन चिंतनीय है, परन्तु नंबी नारायणन जैसे जीवट जीवत व्यक्ति के साथ षड्यंत्र, किसी के मर्डर से भी बड़ा हमला था . यह साजिश अंतर्राष्ट्रीय, राजनैतिक या प्रोफेशनल थी का पटाक्षेप होना आवश्यक है । विश्व पटल पर कब कौन कैसे किसकी कठपुतली बन नाचने लग पड़ता है , मालूम ही नही चलता । सी आई ए, के जी बी, मोसाद, आई एस आई आदि अनेक पर्दे के पीछे के किरदारों से देश की राजनीति यहाँ तक की पुलिस प्रशासन कब फंस जाते है , मालूम ही नही चलता।
आज एक ऐसे इंसान, जो अपनी विद्वत्ता , अपने जुनून, अपनी दृढ़ता और समर्पण , अपनी अभिवृति, राष्ट्र प्रथम की संकल्पना , अनुशासन, उत्साह और ज़िद्दी स्वभाव के साथ साथ विज्ञान के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की, बड़ा करने की इच्छा के साथ उस क्षेत्र में लगातार अच्छा कर रहा था, की चर्चा ही करेंगे । रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट 1994 वर्ष की न भूलने वाली स्मृतियाँ दे गया है। कैसे एक राजनैतिक-कानूनी-प्रशासनिक धूर्त गठजोड़ और साज़िश जिसका पीड़ित को कोई आभास ही नहीं था । कैसे देश के बढ़ते स्पेस शोध को रोका गया । कैसे एक वैज्ञानिक , एक परिवार को प्रताड़ित किया गया ।सीबीआई के दखल से नंबी नारायणन बेगुनाह साबित हुए लेकिन क्या इतना ही काफी था ! पीड़ा अपमान किसके लिए सहा ? देश हमे देता है सबकुछ हम भी तो कुछ देना सीखे , परन्तु देश को सर्वस्व देने वाले जब षड्यंत्र का शिकार हो जाये तो उस समय गम्भीरता से देश के तन्त्र की भी विवेचना होनी ही चाहिए ।
भारत को आगे बढ़ाने के लिए आमलेट बनाना फ्रेंच सीखना, बातों ही बातों में बड़े बड़े विज्ञानिकों को अपने तर्कों से प्रभावित करना , जमे जमाए तरीकों के बाहर जाकर सोचना, गलत होने पर वरिष्ठों को भी बिना झिझक टोक देना, जहाँ आपको कमतर समझा जाता हो, वहाँ जाकर प्रभावित करना और अपनी बात अपनी शर्तों पर मनवा लेने की काबिलियत रखना, ये सब व्यक्तित्व के गुण भरे थे एक वैज्ञानिक नंबी नारायणन के व्यक्तित्व में ।
एक वैज्ञानिक, नासा के स्मार्ट और लग्जरी लाइफ से लबरेज़ ऑफर को ठुकराकर अपने देश में देश के लिए कुछ करने का जज़्बा रखता हो । नासा के ऑफर ठुकराने के लिए भी हिम्मत और आत्मविश्वास चाहिए। सपने को कौन ठोकर मार सकता है। नंबी को मालूम था की भारत में रास्ता संघर्षों भरा है फिर भी काँटों भरा रास्ता चुना केवल और केवल देशप्रेम के लिए ।
षड्यंत्र रच कर केरल पुलिस वैज्ञानिक को गैरकानूनी तरीके से उठाकर जेल ले जाती है। थर्ड डिग्री टॉर्चर फिल्म में कुछ भी नहीं दिखाया है। पाकिस्तान को स्पेस टेक्नोलॉजी देने के लिए को पटकथा बनायीं वो बारवीं के विज्ञानं में सभी ने पढ़ी होती है , लेकिन espionage का केस बनाकर एक देशभक्त को देशद्रोही बता दिया , जेल में डाल दिया , उसके परिवार को बर्बाद कर दिया , पत्नी को मानसिक रूप से लाचार बनाकर छोड़ दिया और फिर उस वक्त के हालतों के चलते मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा किंतु अपराधी पुलिस वालों पर केस चलने में देरी हो गयी , देरी ही नही भारी देरी हो गयी । माननीय सर्वोच्च न्यायलय सिविल अपील नम्बर 6637-6638/ 2018 और misc एप्लीकेशन 1091-10912/2021 नंबी नारायणन बनाम सीवी मैथयू केस को सभी को पढ़ना चाहिए , सीवी मैथयू 1994 में केरल पुलिस के पुलिस महा निदेशक थे ।
अभी मै अपनी बात फिल्म तक ही सीमित रखूँगा । फिल्म बहुत ही बढ़िया बनाई गई है। माधवन ने गजब की परफॉरमेंस दिखाई है । फिल्म के पहले भाग में साइंस के छात्र उसके सपने ,सपने जीने के तजुर्बे बहुत कुछ है ,इस फिल्म में , जो कि बहुत वाजिब है क्योंकि आप साइंटिस्ट्स को बातें करते हुए देख रहे हैं, उसी के अनुसार संवाद भी हैं।
दूसरा हिस्सा नंबी नारायणन के साथ हुई दुःख भरी घटनाओं और उन पर लगे आरोपों की वजह से उन पर और उनके परिवार पर बीती पीड़ाओं को वैसे ही दिखाता है जैसे हमारे सामने हम किसी को रियल लाइफ में भुगतते हुए दिखाया गया हैं।
बहुत जगह पर माधवन ने अपने अभिनय से रूलाया हैं। वैसे अभिनय सबका उम्दा ही है। विक्रम साराभाई के किरदार में रजत कपूर, नंबी की पत्नी के रूप में सिमरन, उन्नी का किरदार और जेल के सीन बहुत ही बढ़िया तरीके से फिल्माए गए हैं।
नंबी जब अंत में कहते हैं, ‘मैं नहीं कर सकता माफ।’ तो अहसास होता है की बतौर राष्ट्र हमे अपने नायकों को शुद्ध अंतकरण से पहचानना पड़ेगा , पुलिस का दुरूपयोग न हो यह संकल्प सभी क्षेत्र के जिम्मेदार नेताओं अधिकारीयों न्यायपालिका के अधिकारीयों को सुनिश्चित करना ही होगा । देश को नंबी नारायण तभी माफ़ करेंगे ,जब देश गलती नही दोहराएगा , कठपुतली नही बनेगा और अपने हीरो का सम्मान करेगा ।