पाठकों के लेख एवं विचारHimachalMandi /Chamba /Kangra

#युद्ध_रणभूमि_से_पहले_मनभूमि_में_लड़ा_जाता_है*

#युद्ध_रणभूमि_से_पहले_मनभूमि_में_लड़ा_जाता_है

#हेमांशु #मिश्रा

उस रोज़ बड़ी बारिश हुई थी , जंगल की नदी उफान पर थी , जंगल का राजा शेर दूसरे छोर पर था । नदी पार करना शेर की मजबूरी भी थी चुनोती भी थी। तैरना शेर का स्वभाव नहीं था ; लेकिन यह आर पार की लड़ाई थी, नदी पार न करना शेर के लिये एक प्रकार की हार ही थी , जो शेर को कतई मंजूर नही थी । शेर ने दहाड़ते हुए नदी को ललकारा और नदी को पार करने के लिए कूद गया , नदी का बहाव तेज था, लगभग डूबने से अच्छा पीछे हटना ही था । कई बार उसने पानी पर यह सोच कर हमला किया कि जंगल के राजा को कोई कैसे रोक सकता है , और हर बार वह नदी पार करने में असफल ही रहा।
थका हुआ शेर अंत मे थक हार कर लेट गया, और शांत मन से सोचने लगा तब उसने नदी को यह कहते सुना, “जो यहाँ नहीं है उससे कभी मत लड़ो।”

सावधानी से, शेर ने ऊपर देखा और पूछा, “यहाँ क्या नहीं है?”।

“आपका दुश्मन यहाँ नहीं है,” नदी ने उत्तर दिया। “जैसे तुम शेर हो, वैसे ही मैं भी नदी हूँ।”

अब वह शेर शांत बैठा रहा और नदी के मार्ग का अध्ययन करने लगा। थोड़ी देर के बाद, वह चलते चलते वहाँ पहुंचा, जहाँ नदी का बहाव दूसरे किनारे से सीधे टकराता था,नदी के दोनों छोरों में अंतर कम था और उस स्थान पर नदी के अंदर कदम रखते ही बहाव के वेग से ही दूसरी तरफ पहुंचा जा सकता था । शेर ने उस स्थान और बहाव की दिशा का लाभ उठाया और नदी पार कर गया।

अंतराष्ट्रीय दार्शनिक ह्यूग प्रेथर की लिटिल बुक ऑफ़ लेटिंग गो से लिया यह प्रसंग बहुत गहरे अर्थ समेटे है।

आप कितने भी ताकतवर हो , यह मायने नही रहता , मायने यह रहता है आप कहां कब किस से लड़ रहे हैं? स्थिति को शांत कर, उसका अध्ययन करने के लिए कुछ समय निकालें। यह समय ही सही राह दिखायेगा । तब आप पाएंगे की लड़ने के लिए भी शक्ति के साथ योजना चाहिये ।

महाभारत में भी कहा गया है कि युद्ध रणभूमि से पहले मनभूमि में लड़ा जाता है ।

विश्व के यूरोपीय देशों , दक्षिणी एशिया देशों ,अफ्रीकी और दक्षिणी अमरीकी देशों में जो आंदोलन के स्वर गूंज रहे है , उसे विश्वपटल के Geo political परिदृश्य से ही अध्ययन कर भारत को कदम उठाने होंगे । हम समय के नाजुक मुहाने में हैं ,चीन से निकले एक कारोना वायरस ने नई चुनोतियाँ दी है। जिसकी चपेट में श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान ,नीदरलैंड, जर्मनी ,ग्रीस और अर्जनटीना आदि अनेक देश आ गए हैं ।

वास्तव में जो शांत रह कर अपनी राह चुनेगा वही जीतेगा । भारत को भी परिस्थितियों का गहन अध्ययन करना है कि उसका वास्तविक दुश्मन कौन है । अभी तक भारत के हर कूटनीतिक राजनीतिक रणनीतिक कदम सही दिशा में है । जो गलती अमरीका ने वियतनाम में की , रशिया यूक्रेन में कर रहा है ,वही गलतियां नही करनी है ।
भारत देश को भी एक जुट हो कर रहना होगा , राजनीतिक नुक्ताचीनी कभी बाद में कर लेंगे ।नदी के बहाव की तरह विश्व की बदलती परिस्थितियों का लाभ लेना होगा । अभी केवल शांत रह कर अपने कदमों को सधे तरीके से एक एक कर आगे बढ़ना है । निश्चित तौर पर इक्कीसवीं सदी भारत की होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button