*उषा जी ने दिग्गज को दी मात* *सोफत जी के जीवन_के_सात_दशक_का_अनुभव*


23 जनवरी 2024- (#जीवन_के_सात_दशक_का_अनुभव)–

इस वर्ष 21 जनवरी, रविवार को मैने अपने जीवन के सात दशक पूरे किये। इस पड़ाव पर पहुंच कर एक बार फ़िर मै पीछे मुड़कर देखता हूँ तो लगता है कि जीवन संघर्ष का दुसरा नाम है। उतार- चढ़ाव, हार जीत, सहयोग-असहयोग इस जीवन के अभिन्न अंग है। मेरे जैसे लोग जो सार्वजनिक जीवन मे सक्रिय रहते है उन पर समाज का बहुत ऋण होता है। आप सार्वजानिक जीवन मे बिना अपने कार्यकर्ताओं, दोस्तों, रिश्तेदारों और समर्थकों के सहयोग से एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते। उनके इस सहयोग का भार अपने सिर से उतारने के लिए एक जन्म काफी नहीं है और इसके लिए कई जन्म लेने होगे।
खैर मेरे जीवन मे संघर्ष के बाद सफलता कम और असफलता से मिला अनुभव अधिक है। जिन्दगी के खट्टे-मीठे अनुभव याद करने पर ध्यान आता है कि ऐसे दोस्त और समर्थक मिले जिन्होने मेरे अभिभावक बन मुझे आगे बढ़ाने मे मदद की। दूसरी ओर ऐसे भी मिले जिन्होने विश्वासघात किया। वैसे मै उनके विश्वासघात से खफा नहीं हूँ मुझे पश्चात तो अपने विश्वास और भरोसे पर है। अब समय के साथ सब कुछ बदल चुका है। कभी मेरी पहचान युवा कार्यकर्ता की थी जो आपातकाल मे नाहन जेल का सबसे कम उम्र का राजनैतिक बंदी था और भाजपा के गठन के बाद ठाकुर गंगा सिंह के नेतृत्व मे बनी भाजपा कार्यसमिति का सबसे युवा और कम उम्र का सदस्य था। 1990-1992 की शांता सरकार का सबसे युवा और कम उम्र का मंत्री था। समय ने गति पकड़ी और हम वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी मे आ खड़े हुए। अच्छी बात यह है कि उम्र के इस पड़ाव पर भी कुछ कर गुजरने का इरादा कायम है।
पिछले एक दशक से हम 21 जनवरी को मुम्बई मे अपने बेटे अभिमन्यु के पास होते है, लेकिन इस बार मेरी पत्नी की सोची- समझी चाल के अंतर्गत हमारा मुम्बई का कार्यक्रम नहीं बना। उषा और बच्चों का इरादा मुझे सरप्राइज देने का था। मुझे उनके मिशन सरप्राइज की भनक न लगे तो उषा ने इस षड्यंत्र मे बेटे अभिमन्यू ,बहू समृद्धि और पोती नीवा को भी शामिल कर लिया। उन्होने यह तय किया कि इस बार जन्मदिन मेरे उन दोस्तों के साथ मनाया जाए जो गैर-राजनीतिक और अधिकांश चंडीगढ़ मे रहते है। यह सारी योजना गुप्त थी और मुझे कोई खबर नहीं थी क्योंकि यह चंडीगढ़ मे करना था। इसलिए मेरे अभिभावक और मित्र कुलदीप कौल एवं मधु भाभी को भी विश्वास मे लिया गया। अब मुझे बताया जा रहा है कि इस छोटे से फंक्शन के लिए एक महीने से काम हो रहा था। इन लोगो ने सिक्रेसी बनाने के लिए बारीक- बारीक बातों का ध्यान रखा और मुझे भनक न लगे इसलिए इन्होने मेरे सोलन के दोस्तों को भी न भनक लगने दी और न बुलाया।
खैर आखिर उषा और बच्चे अपनी योजना मे सफल रहे और जब हम फंक्शन के स्थान पर पहुंचे तो उस सरप्राइज और उन दोस्तों और रिश्तेदारों को इकठ्ठे देखकर मै भौचका रह गया। मेरी आंखे खुली की खुली रह गई और मै निशब्द था। उषा, बच्चें, कुलदीप और मधु भाभी अपने मिशन सरप्राइज की सफलता पर प्रसन्नचित्त थे। वह दिन ही सरप्राइज का था सुबह मेरे बेटे समान सुनील दत्त ने मेरे ब्लॉग पर आधारित मेरी स्मृतियों का संकलन कर छपी किताब की प्रति मेरे जन्मदिन पर उपहार स्वरूप भेंट की। वह इस किताब पर काम कर रहा था मुझे और उषा को नहीं पता था। खैर सात दशक पुरे करने पर यह वास्तव मे विशेष जन्म दिन था। इसको विशेष बनाने मे उषा,अभिमन्यु, समृद्धी, नीवा और कौल दम्पति की सक्रिय भूमिका थी। जो कुछ इस अवसर पर दोस्तो ने कहा वह सब मुझे नई उर्जा और स्फूर्ति देने के लिए काफ़ी था। कुल मिलाकर यह एक अच्छा सरप्राइज था और नीवा के भरत नाट्यम डांस ने सबको प्रभावित किया। इस बार जन्मदिन पर सैंकड़ों शुभचिंतकों की शुभकामनाएं प्राप्त हुई। वह उत्साहित करने वाली थी। अंत मे मै सरप्राइज देने वालो, सरप्राइज को गुप्त रखने वालो और इस दिन शुभकामनाओं से मेरी झोली भरने वालो का धन्यवाद करता हूँ। कृतज्ञता के साथ सोफत सोलन।

#आज_इतना_ही।