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क्यों चुनावी वर्ष में ही भ्रष्टाचार के मामले उजागर होते हैं

#bksood
यह इलेक्शन के समय पर ही सारी सरकारें भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक्शन क्यों लेती हैं ?
साढ़े 4 साल तक किसी पर कोई एक्शन नहीं होता। पंजाब में खनन माफिया के विरुद्ध शायद मार्च 2018 मे दर्ज f.i.r. पर January 2022 का इसमें एकदम द्रुतगति से एक्शन शुरू हो जाता है। मतलब साढ़े 4 साल तक f.i.r. पर कोई एक्शन नहीं होता है।
दूसरी ओर आमजन को लाभ देने की बात आती है तो वह भी चुनावी वर्ष में ही दिए जाते हैं। हालांकि यह जो लाभ या वादे किए जाते हैं वह पिछले चुनावी वर्ष में किए गए होते हैं लेकिन सत्ता हासिल करने के बाद यह सब चुनावी वादे ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं तथा फिर से4 वर्ष बाद अगले चुनावी वर्ष में कुछ दिन पहले उन पर एक्शन ले कर उन्हें पूरा कर दिया जाता है ।सड़कें पक्की हो जाती है ,बिजली अनवरत रूप से चल पड़ती है, अस्पताल चकाचक हो जाते हैं, शिक्षा में सुधार के प्रयास शुरू हो जाते हैं, महिलाओं की सुरक्षा के लिए थाने बनाने शुरू हो जाते हैं, बेरोजगारों के लिए एप्लीकेशन फॉर्म भरने शुरू हो जाते हैं,, तथा भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार एकदम सख्त हो जाती है, और कहती है कि हम भ्रष्टाचार बिल्कुल भी सहन नहीं करेंगे चाहे उस भ्रष्टाचार को करने वाला कितना ही प्रभावशाली व्यक्ति क्यों ना हो। लेकिन जैसे ही सत्ता उनके हाथ से खिसक जाती है तो शुरू किए गए सभी एक्शंस का ठीकरा नई सरकार पर फोड़ दिया जाता है कि अगर हम सत्ता में वापस आते तो हम यह सब मसले हल कर देते ।
और नई सरकार यह कहती है कि हम इस पर एक्शन ले रहे हैं और जनता को इसी तरह के लॉलीपॉप दिखाकर 4 साल बिता दिए जाते हैं ।
5 साल बाद फिर से उन्हीं मुद्दों पर एक्शन लेने शुरू कर दिए जाते हैं और फिर से लोक लुभावने वादे किए जाते हैं ताकि सत्ता फिर से हासिल की जा सके.
आप स्वंय सोचिए आज तक कितनी बार सत्ता परिवर्तन हुआ? और कितनी बार तथाकथित भ्रष्टाचार करने वालों पर एक्शन लिया गया? (कुछ अपवाद को छोड़कर )उन पर कार्यवाही की गई और कानून अनुसार उनको उपयुक्त सजा दी गई?

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