*दुनिया_गोल_है_और_यहां_सिर_फिरो_की_भी_कोई_कमी_नहीं*


20 फरवरी 2023- (#दुनिया_गोल_है_और_यहां_सिर_फिरो_की_भी_कोई_कमी_नहीं)-

आज-कल हिमाचल मे स्कूटी के नम्बर के लिए 1 करोड़ 12 लाख की बोली की खूब चर्चा है। पिछ्ले कुछ सालों से निजी वाहन के लिए आकर्षक नम्बरों की परिवहन विभाग खुली बोली करता है। जिला शिमला मे कोटखाई नया उपमंडल बना है और वहां वाहनों के लिए नई सीरीज शुरू की गई है। इसी के चलते वहां पर आकर्षक नम्बरों के लिए विभाग बोली कर रहा है। जब वहां आकर्षक नम्बर (एच.पी.99-9999) के लिए बोली लगाई गई तो एक व्यक्ति ने इसकी बोली 1 करोड़ 12 लाख लगा कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। स्मरण रहे यह नम्बर 70000 रूपए की कीमत वाली स्कूटी पर लगाया जाना है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश मे नम्बर के लिए इतनी बड़ी बोली लगाने के लिए आम लोगो के साथ- साथ प्रशासनिक अधिकारी भी हैरान है। हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ कि वह गंभीर बोलीदाता है या नहीं, क्योंकि उसको इस रकम का 30% तीन दिन के भीतर जमा करवाने को कहा गया है। यदि वह गंभीर है और पैसे जमा करवा देता है तो यही माना जाएगा कि वह बड़ा शौक रखने वाला बड़ा आदमी है। हालांकि अधिकांश लोग उसे सिर- फिरा मान रहे है।
एक प्रतिष्ठित अखबार के अनुसार सरकार ने बोली का सारा रिकॉर्ड तलब कर लिया है। रिकॉर्ड की छानबीन कर यह पता किया जाएगा कि यह फ्राॅड का मामला तो नहीं है। चर्चा यह भी है कि यदि बोलीदाता पैसे जमा नहीं करवाता तो प्रशासन कानूनी कार्रवाई कर सकता है। इस प्रकरण मे क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती है यह कानून के जानकार ही बता सकते है। मेरी समझ मे यदि पहले तीन बोली दाता पैसे जमा नहीं करवाते और प्रशासन कार्रवाई करने भी असफल रहता है तो निश्चित तौर पर प्रशासन की स्थिति बहुत हास्यापद होगी। बोली प्रक्रिया मे कुछ पेच स्पष्ट नजर आ रहे है। मेरे विचार मे बोलीदाता से बोली लगाने के लिए अग्रिम राशि लेना जरूरी था और बढ़ती बोली के साथ- साथ अग्रिम राशि का बढ़ना भी बोली प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिए था।

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।
हालांकि कल उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने यह संकेत दिए हैं कि अगर यह बोली दाता सरकारी मापदंडों पर खरा नहीं उतरता है और पैसे जमा नहीं करवाता है तो उसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज करके कानूनी कार्रवाई की जाएगी ।यह एक अच्छा कदम होगा ताकि सरकारी काम और समय दोनों में व्यवधान पैदा ना हो और सरकारी कार्यालय हंसी का पात्र ना बन सकें।