मां दुर्गा के चौथे स्वरूप को कूष्मांडा देवी कहते हैं. उनका सूर्य के समान तेजस्वी स्वरूप व उनकी आठ भुजाएं हमें कर्मयोगी जीवन अपनाकर तेज अर्जित करने की प्रेरणा देती हैं. उनकी मधुर मुस्कान हमारी जीवनी शक्ति का संवर्धन करते हुए हमें हंसते हुए कठिन से कठिन मार्ग पर चलकर सफलता पाने को प्रेरित करती है. मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें आत्मिक प्रकाश प्रदान करते हुए हमारी प्रज्ञा शक्ति को जाग्रत करके हमारी मेधा को उचित तथा श्रेष्ठ कार्यो में प्रवृत्त करता है.
मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं. इनके सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. इनका वाहन सिंह है