*पालमपुर में शनि सेवा सदन द्वारा डॉ शिवकुमार को किया गया याद*


आज डॉक्टर शिव कुमार का जन्मदिन है विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं ने उनके जन्मदिन पर उन्हें याद किया उनके उपकारों का एहसान माना।
शनि सेवा सदन द्वारा भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए तथा उनकी आत्मा की शांति और सद्गति तथा परम गति के लिए प्रार्थना की गई
. डॉ. शिव कुमार के 84वें जन्मदिवस पर आज हम उन्हें याद कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं। 29 नवंबर 2021 को उन्होंने इस नश्वर शरीर को त्याग परम पिता परमात्मा के चरणों में शरण ग्रहण की थी।
डॉ. शिव ने यों ही अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नहीं की, उन्होंने अपना सारा जीवन, अपना पोलिटिकल कैरियर, अपनी डॉक्टरी प्रैक्टिस, अपने परिवार, अपनी सुख-समृद्धि सब कुछ दांव पर लगा दिया।
मानसिक व शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को आश्रय प्रदान किया जिन्हें अपने निजी संबंधी भी अपनाने से गुरेज करते हैं।
जिन वृद्ध महानुभावों को उनके अपने ही लोग बेकार सामान समझ कर ठुकरा देते हैं, उन्हें सहर्ष गले से लगाया, उनके जीने के रास्तों को आसान बनाया तथा उनके जीवन को एक नई दिशा, एक नई आस और खुशी देकर उनके जीवन को खुशियों से भर डाला।
पूरे हिमाचल प्रदेश में आंखों का जब कहीं ईलाज नहीं होता था तो उन्होंने रोटरी आई फाउंडेशन का गठन करके मेला मल सूद रोटरी आई हॉस्पिटल मारंडा का निर्माण करवाया तथा अन्धेपन से जूझ लाखों लोगों के जीवन में रोशनी भर दी।
महिलाओं के उत्थान के लिए ITI शुरू करवाई। बच्चों व महिलाओं के लिए अस्पताल बनवाया।
अशिक्षा से जूझ रहे लोगों को सुशिक्षित बनाने हेतु विभिन्न शिक्षण संस्थानों का संचालन किया जहां से शिक्षित होकर आज तक लाखों बच्चे अपना जीवन संवार चुके हैं।
इसके अतिरिक्त उन्होंने रोजगारोन्मुख माध्यमों से अनेक लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।
जिस समय डॉ शिवकुमार पालमपुर में मेडिकल प्रोफेशन में थे तो वे ही एकमात्र डॉ थे जिन के क्लीनिक में सिविल हॉस्पिटल से भी ज्यादा लंबी लाइनें लगती थी ।अगर वह चाहते तो इस अवसर को वह अपने तथा अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए अरबों की संपत्ति बनाकर उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकते थे लेकिन उन्होंने कभी भी पैसे को महत्व नहीं दिया ।कभी भी उन्होंने अपने मरीजों से अधिक पैसे नहीं लिए ,अगर वह अपने प्रोफेशन को बिजनेस में तब्दील कर लेते तो शायद पालमपुर में ही आज विवेकानंद जैसे हॉस्पिटल की जरूरत ना रहती क्योंकि वह इतना बड़ा हॉस्पिटल बना लेते जो फॉर्टिस जैसे हॉस्पिटल इस को टक्कर दे सकता था। तथा अपने परिवार की आने वाली सात पीढियों के लिए वित्तीय प्रबंध कर सकते थे।
परंतु उन्होंने प्रोफेशन के जगह जनसेवा को महत्व दिया जो कि मेडिकल प्रोफेशन का पहला नियम है ।
उन्होंने मरीजों को ठीक किया परंतु उनकी जेब खाली नहीं की, उल्टा अगर उनके मरीज के पास दवाई के लिए पैसे नहीं होते तो मुफ्त में दवाई दे देते थे ।उनके मरीज के पास किराया नहीं होता था तो वह उसे किराया पकड़ा देते थे। उनके मरीज के पास अगर छतरी नहीं होती थी तो वह उसे छतरी के पैसे दे देते थे कहते थे कि छतरी खरीद लो और आराम से घर जाओ ।
उन्होंने कभी भी किसी भी मरीज को चार या पांच बार नहीं बुलाया उनकी यही कोशिश होती है कि यह मरीज बहुत दूर से आया है इसे एक या दो चक्कर में ही ठीक करके इसकी सेवा करनी है यह काफिला यहीं नहीं रुका इन्होंने जन सेवा के क्षेत्र में ऐसी मिसाल पेश की के बड़े से बड़े समाजसेवक में इनके आग नतमस्तक हो जाते हैं।
दिन हो या रात हो सुबह हो या शाम को डॉक्टर साहेब के सिर पर एक ही भूत सवार होता था जनसेवा और और लोगों का उद्धार ।
अगर उन्होंने अपने सिद्धांतों से से समझौता किया होता तो राजनीति में रहते हुए भी वह बहुत बड़ा मुकाम हासिल कर सकते थे ।परंतु उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता करने के बजाए राजनीति को बाय-बाय कहना उचित समझा, वरना कुछ समय राजनीति में टिक जाते तो उनका स्वास्थ्य मंत्री बनना तय था परंतु उन्होंने अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं किया और जब राजनीति भी उनके उसूलों पर भारी पड़ने लगी तो उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया।।
डॉ शिव कमार ने अपने जीवन काल में समाज सेवक के रूप में ऐसा और कल्पतरु का रोपण किया है जिसकी छांव में बैठकर लोग साल 2 साल नहीं लेकिन कई पीढ़ियों तक उसकी ठंडक को महसूस करते रहेंगे ।
समाज सेवा ऐसी होनी चाहिए जो किसी समाज सेवक के जीवन काल तक ही सीमित ना रहे ,समाज सेवा ऐसी होनी चाहिए कि उस समाज सेवक की सामाजिक सेवा उसके जीवन के बाद भी कालांतरोहत तक जीवित रहे ।कुछ ऐसे ही समाज सेवक थे डॉक्टर शिवकुमार अगर हम यह कहें कि वह डॉक्टर ना होकर केवल समाज सेवक थे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि उनकी समाज सेवा डॉक्टर के प्रोफेशन से कहीं उत्तम और अविस्मरणीय तथा अनुकरणीय रही है
उनके द्वारा की गई समाज सेवा और समाज सेवा के रूप में उनके द्वारा रोपे गए वटवृक्ष केवल दशकों तक नहीं कई पीढ़ियों तक लोगों को उसका फल देते रहेंगे
शनि सेवा सदन के प्रमुख परमेंद्र भाटिया द्वारा उनकी सेवाओं को याद करते हुए उन्हें अपनी आंखों में आंसू आ गए तथा उन्हें अपने जीवन का आदर्श बताया ।
शनि सेवा सदन द्वारा आज शनिवार के दिन लंगर का आयोजन किया गया आज स्वर्गीय डॉक्टर शिव कुमार जी जन्मतिथि है तथा उनके इस विशेष दिन पर उनके परिवार द्वारा उन्हें विनम्र पुष्पांजलि अर्पित की गई तथा डॉ शिव कुमार की तरफ से उनके सपुत्र राघव शर्मा तथा उनकी धर्मपत्नी डॉ विजय शर्मा तथा पुत्री द्वारा उनकी याद में एक आरओ सिस्टम ,4 व्हील चेयर, 10 Hearing Aid machine तथा कुछ लोगों को पेंशन आदि दी गई। लंगर के लिए भी उनके परिवार द्वारा नकद योगदान दिया गया।
डॉ शिवकुमार ना केवल पालमपुर केबल के हिमाचल प्रदेश और देश की ऐसी शख्सियत थी जिसके बारे में कुछ कहना दिए को सूरज को रोशनी दिखाने के बराबर है उनके नेतृत्व मेहनत और परिश्रम तथा प्रियतम से पालमपुर का रोटरी आई हॉस्पिटल बनाया गया रोटरी क्लब आलमपुर की स्थापना की गई बाल आश्रम सल्याणा बनाया गया वृद्ध आश्रम सल्याणा बनाया गया, तथा महिला आईटीआई सुंगल में बनाई गई इसके अतिरिक्त वे सनातन धर्म सभा पंजाब दिल्ली प्रदेशों के अध्यक्ष रहे।
गरीब, दबे कुचले , तथा असहाय लोगों की सहायता करना उनका परम धर्म होता था।
शनि सेवा सदन जोगी पालमपुर के अग्रणी समाजसेवी संस्था है को भी उन्होंने बहुत मदद की।
शनि सेवा सदन के प्रमुख परविंद्र भाटिया जी ने बताया कि डॉ शिवकुमार उनके आदर्श थे तथा अगर वह उनके पद चिन्हों पर चलकर उनका अनुसरण करके उनके द्वारा किए गए कार्यों का एक परसेंट भी कर पाएंगे तो यह उनके लिए गर्व की बात होगी।अंत में डॉ शिवकुमार को ट्राइसिटी टाइम्स की तरफ से भावभीनी श्रद्धांजलि और उनके परिवार के सभी सदस्य को साधुवाद।।
![]()
![]()
![]()
For detail click the link below
https://fb.watch/drjmgDGmvt/