*यूक्रेन और रूस*

यूक्रेन और रूस
अगर इतिहास को देखा जाए विशेष कर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद तो रूस और अमेरिका ने कुछ देश आधे आधे बांट रखे थे । यह भी सही है कि बहुत साल बाद पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी की तरह कुछ देश दोबारा एकीकृत हो गए , जिसका सबसे बड़ा कारण रूस का कमजोर होना था । एक वक़्त ऐसा भी आया कि जब अमेरिका और रूस के बीच शीत युद्ध समाप्त हो गया था ।
वर्तमान में भी शायद यूक्रेन का यही भाग्य होने वाला है । समस्या यह है कि बहुत से नाटो देशों को रूस गैस की आपूर्ति करता है और वो पाइपलाइन यूक्रेन से हो कर गुजरती है । शायद उस पाइपलाइन की वजह भी इस युद्ध का कारण है । अमेरिका चाहता है कि अगर यूक्रेन रूस के प्रभाव से निकल जाता है तो अमेरिका अपनी गैस आसानी से बेच सकेगा ।
रूस ने अपनी चाल चल दी है उसने यूक्रेन के दो इलाकों डोनेस्क और लोहेंस्क को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है और रूसी सेना पूर्वी यूक्रेन में अंदर घुसने वाली है
दूसरी तरफ फिलहाल चीन ताइवान के मामले पर हमलावर हो रहा है और अमेरिका को धमकी दे डाली कि इस मामले में अमेरिका दूर रहे ।
मुझे लगता है कि वाइडन के आने के बाद अमेरिका को चुनौती मिलने लगी है । कहीं ना कहीं अफगानिस्तान का मामला हो या इस समय के हालात अमेरिका कुछ कमजोर नजर आता है । नाटो देश कहीं अधिक सतर्क हो चुके है कि अगर यूद्ध हुआ तो रूस वापिस सोवियत संघ की तरफ लौटने की तरफ बढ़ेगा जिससे कई नाटो देश सीधे रूस के हमले की जद्द में अा जाएंगे ।
अगर युद्ध हुआ तो सबसे अधिक प्रभावित तीसरी दुनिया के देश में होंगे । भारत एक बहुत बड़ी मुश्किल में फंस सकता है जिससे रोजगार और अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा । हमारे विदेशी रिजर्व बहुत तीव्र गति से कम होंगे , शेयर बाजार ने गोते लगाने शुरू कर दिए है । महंगाई बहुत बड़ी मुसीबत बनेगी , लोगो की छोटी छोटी बचते समाप्त होंगी , साधन किसी दूसरी दिशा में परिवर्तित होने लगेंगे , ढांचागत विकास पर सरकारी खर्च कम हो जाएगा जिससे रोजगार पर और मुसीबत बढ़ेगी । जनता और सरकार की भागीदारी देश को बचा सकती है और भीतर से होने वाले खतरों से देश को बहुत अच्छी तरह से जनता बचा सकती है । मेरा मानना है कि अब वक़्त अा गया है देश को आंदोलनों से भी बचाए रखा जाए । धैर्य से अगले 48 घंटो का अवलोकन कीजिए और देश को तैयार कीजिए ।