*Editorial :विश्व ओर हम*


विश्व ओर हम

अतीत में हमने विश्वस्तरीय मंदिर भी बनाए और विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय भी । नालंदा और तक्षशिला इसका प्रमाण है । वर्तमान में हम विश्वस्तरीय मंदिर बना रहे है मूर्तिया भी बना रहे हैं लेकिन शिक्षा और विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं और विश्वस्तरीय अस्पतालों के मामले में पिछड़ रहे हैं । हम पीने के पानी के मामले में पिछड़े हुए हैं और पानी जनित रोगों से ग्रस्त है । स्वास्थ्य के लिए जरूरी पोषक खाद्य पदार्थ भी समस्या है । हमारे बच्चे कुपोषण का शिकार है और महिलाऐं भी। बेशक हम जी 20 की अगुवाई कर रहे है लेकिन कहीं न कहीं कमियां खलती है । बेशक इसकी वजह हमारी जनसंख्या भी है जो वोट की राजनीति के चलते विकराल रुप धारण कर चुकी है । भ्रष्टचार का एक बडा कारण जनसंख्या भी है और बेरोजगारी का भी । इसके साथ शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टचार , जाली डिग्रियां और गिरा हुए स्तर भी बहुत चिंता जनक है । स्नातक पैदा हो रहे है लेकिन कुशलता किसी विषय में नही । अंध विश्वास ने और भी समस्या खड़ी कर रखी है । अस्पतालों में गंदगी बहुत बडी समस्या है और भीड़ का विकराल रुप अस्पतालों में साफ़ देखा जा सकता है । डॉक्टर्स पर भी बेहद दवाब है । मेरे हिसाब से शिक्षा और स्वास्थ्य का बजट कम है। हमारे विश्वविद्यालय प्राध्यापको की कमी से जूझ रहे है । इसी तरह सफाई के लिए भी बजट कम है । हर गांव और शहर कहीं न कहीं गंदगी से जूझ रहे है । बेरोजगारी ने शहरों के इर्दगिर्द गंदी बस्तियों को जन्म दे रखा है । धारावी गंदी बस्ती आज भी तरक्की का मुंह चिढ़ाती है । अगर विश्व गुरु बनना है तो सब से पहले बुनियादी सुविधाओं पर काम करने की अत्यंत आवश्यकता है । चाइल्ड लेबर और ह्यूमन ट्रैफिकिंग की अलग परेशानियां है । अभी भी देश सामंती सोच से बाहर नही निकल नही पाया है ।मानवाधिकारों का कोई ख्याल नही करता यहां तक कि प्रशासन को जो आदर देश के नागरिकों को देना चाहीए नही देता । डंडा और भीड़ का चलन चिंता जनक है । मैने कल भी कहा था कि एक तरफ इंडिया की चका चौंध है दूसरी तरफ तरपालों से ढका भारत है । अभी राजनितिक कवायद चल रही है 2024 के चुनावो पर तमाम दल नजर गड़ाए है । थोड़ा सा G 20 का यह नजारा भी है कि चीन का न आना उसकी कुंठा और विस्तार की नीति को दर्शाता है । चीन कभी नही चाहेगा की एशिया में कोई दूसरा देश उसके लिए चुनौती बने जब की उभरती हुइ भारतीय अर्थ व्यवस्था उसकी चुनौती दे रही है । पश्चिम को चीन के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए भारत की जरुरत महसूस हो रही है और उनकी अपनी अर्थ व्यवस्था के लिए भारत के बाज़ार की जरूरत है । रहीं तीसरी दुनिया के देशों के लिए नियमो में ढील देने की बात एक तर्क यह भी हो सकता है की कार्बन उत्सर्जन सबसे अधिक युद्ध पैदा करते हैं और युद्धों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से महाशक्तियां संतलिप्त होती है हथियार बेचने के लिए । उस पर कोई बात नही करता । सब अपना लाभ देखते हैं जब कि पिस रहे हैं गरीब और अल्पविकसित देश । आज प्रधानमंत्री का भाषण इस और कितना आगे बढ़ता है और रूस यूक्रेन युद्ध पर क्या स्थिति बनती है यह भी देखने वाली बात होगी ।

लेखक उबाली।
जैसा कि प्रदर्शित किया गया है बोलो तो सच बोलो वरना कुछ मत बोलो इस सारांश में लिखी गई एक एक वाक्य को तथ्यों के आधार पर पेश किया गया है जो एक वास्तविकता भी है पर हम यह भूल जाते हैं कि जब भी देश में कोई चाहे वह लोकसभा का चुनाव हो विधानसभा का चुनाव हो पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव हो तो हमारी मानसिकता रूढ़िवादी जातिवादी क्षेत्र वादी होकर रह जाती है हम सब अभी भी उच्च शिक्षा प्राप्त करके भी अनपढ़ता को दर्शाने का उदाहरण पेश करते आ रहे हैं 21वीं साdiमें भारत में प्रवेश किया है लेकिन हम आज भी वही मानसिकता लेकर बैठे हैं क्योंकि यह सत्य है कि हमारे पास ना उच्च शिक्षा के लिए संस्थान हैं ना पीने के पानी पानी लिए भविष्य में कोई योजनाएं हैं l स्वास्थ्य व्यवस्था तो बिल्कुल लाचारी हो चुकी है हमने बड़े-बड़े एम्स हॉस्पिटल शिक्षण संस्थान 70 साल में जरूर खोले हैं यहां तक की नासा जैसे सेंटर भी बना कर तैयार किए हैं पर बीते दिनों में वह सब भी ओझल साबित हो रहे हैं क्योंकि हमने केवल उन तथ्यों पर ध्यान न देकर उसे विचारधारा को आगे बढ़ने का ही काम किया है जिसने देश में सांप्रदायिक दंगे आपसी भेदभाव जातीय समीकरण क्षेत्रीय समीकरण और उच्च नीच की राजनीति को ही बढ़ावा देने में अधिकतर बोल दिया है तभी यह स्थिति पैदा हो चुकी है हम सभी भविष्य के लिए सभी युवाओं से सही विचारधारा को विचारधारा के साथ तट पर चलने के लिए आग्रह करते हैं तभी देश प्रदेश और राष्ट्र का भला हो सकता है तभी हम विश्व गुरु बन सकते हैं नहीं तो जी-20 सम्मेलन के भागीदारी होने के बाद भी हमें अपनी गरीबी को छुपाने के लिए बड़े-बड़े बहनों पोस्ट ऑन और जालियों से ढकने की जरूरत नहीं पड़ती आज देश के बाहर विदेशियों की टॉप 5 न्यूज़ एजेंटीयों ने हमारी उन तस्वीरों को कर करके अपने अखबारों की फ्रंट पेज पर हैडलाइन के साथ प्रकाशित किया है जिसमें यह स्पष्ट कहा गया है कि भारत चाहे विश्व की रूप बन जाए पर 80 करोड लोगों की भूख को मिटाने में आज भी असफल रहा है जिसे पढ़कर हमें बहुत दुख होता है हम न केवल इस चक्र चांद की दुनिया से ही महत्व नहीं रखते बल्कि हकीकत देखनी हो तो भारतवर्ष की जमीन पर बसे सभी भारतीयों के जनजीवन को जाग जोड़ने वाली तस्वीरें कोई इकट्ठा करके हम कितने महान विश्व गुरु बन सकते हैं यह जानने का प्रयास करें यदि मेरे विचारों से किसी को आघात पहुंचता है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं धन्यवाद