*Editorial:-आमदनी_के_स्थान_पर_खर्च_पर_लगना_चाहिए_टैक्स* *Mahendra Nath Sofat*
21 फरवरी 2023- (#आमदनी_के_स्थान_पर_खर्च_पर_लगना_चाहिए_टैक्स)–
प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक अखबार मे छपे एक लेख मे यह मुद्दा उठाया गया है कि आयकर को खत्म कर उसकी जगह खर्च पर टैक्स लगना चाहिए। इस लेख के लेखक द्वारा प्रकट किया गया विचार निश्चित तौर पर विचारणीय है। हमारे देश की जनसंख्या लगभग 140 करोड़ है, लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालो की संख्या लगभग 7 करोड़ के आस- पास है। लेख के अनुसार उनमे से मुश्किल से 3 करोड़ लोग ही टैक्स भरते है। लेखक की यह बात भी सही प्रतीत होती है कि ईमानदारी टैक्स देने वालो को ढूंढ निकाल पाना लगभग असंभव है।
मेरे विचार मे कुछ अपवाद को छोड़कर सभी आयकर बचाने की कोशिश करते है। हमारे देश के एक पूर्व वित्त मंत्री पर भी आरोप लगता है कि उन्होने लाखों रूपए की कृषि आय गमलो मे सब्जियां उगा कर दिखाई थी। स्मरण रहे कृषि आय पर आयकर नहीं है। इसी प्रकार देश के एक पूर्व उप- प्रधानमंत्री जो अब इस दुनिया मे नहीं है ने आयकर की रिटर्न न भरने का कारण बताते हुए कहा था कि अत्यधिक काम और व्यस्तता के कारण वह रिटर्न भरना भूल गए थे। खैर कुल मिलाकर देश मे टैक्स चोरी आम बात है। दुसरे टैक्स देने वालो की संख्या बहुत कम है, जबकि एक रिपोर्ट के अनुसार देश मे मध्यम वर्ग की संख्या 30- 40 करोड़ होनी चाहिए, लेकिन रिटर्न केवल 7 करोड़ लोग भरते है।
मुद्दा यह है कि क्या हम आयकर के स्थान पर ऐसी टैक्स व्यवस्था खोज सकते है जिसमे कर चोरी की गुंजाइश न हो और अधिक से अधिक लोग उसके दायरे मे आ जाए। मेरी समझ मे कार्पोरेट को छोड़कर शेष पर आय कर के स्थान पर खर्च कर लगाने पर विचार किया जा सकता है। खर्च कर देने वालो की संख्या निश्चित तौर पर अधिक होगी। इससे यह भी लाभ होगा कि उपभोक्तावाद और फिजूलखर्ची घटेगी। जितना कोई खर्च करेगा उतना ही कर देना होगा। अखबार के छपे लेख के अनुसार कई देश ऐसे है जहां पर आयकर के स्थान पर खर्च कर लिया जाता है। इस प्रणाली के चलते हिसाब – किताब के झंझट से भी मुक्ति मिलेगी और कर विभाग की भी जरूरत नहीं होगी।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।