*शिक्षा एक महत्वपूर्ण अंग लेखक उमेश वाली*
शिक्षा
बर्तमान में मेने देश और विदेश मे देखा है कि भाषा जिस पर भारत के युवा अक्सर इतना ध्यान नहीं देते है । जब कि अगर आप किसी भी भाषा में स्नातकोत्तर करते हैं और आपका उच्चारण अगर उत्कृष्ट है तो किसी भी युवा को न तो रोजगार की कमी है न धन की कमी । बस शर्त इतनी सी हैं कि आप दक्ष हो । आपके लिए देश और विदेश में रास्ते खुल जायेंगे । आप ख़ुद की संस्थान खोल सकते हैं और भाषा ज्ञान बांट सकते हैं । दुनिया में बहुत सी भाषाएं बोली और लिखी जाती हैं आप किसी एक का चयन कीजिए अपनी उच्चारण शैली पहचानिए और फिर जुट जाइए । यह तो हुइ भाषा की बात । आगर आप अन्य भी किसी विषय में भाग्य आजमाना चाहते हैं तो केवल दक्षता ही युवाओं का बेड़ा पार कर सकती है काम चलाऊ वा इम्तहान पास करने की दृष्टि से किया गया अध्ययन वर्तमान में कोई मायने नहीं रखता । आज विश्वस्तरीय गुणवत्ता की अवश्यकता है । बीच के तमाम रास्ते समाप्त है , बस या तो नंबर 1या कुछ भी नही चाहे कोई युवा पीएचडी ही क्यों न कर ले । आज वास्तव में ही योग्यता का युग आ चुका है यहां तक की खेल जगत में भी और राजनितिक जगत में भी नंबर 2 की जगह खत्म हो चुकी है । आज का युवा शारीरिक और मानसिक क्षमताओं की सीमाएं लांघ रहा है, इस कदर कठोर जिंदगी हो चुकी है कि मेहनत भीं शायद शरमाने लगी है ।
उबाली अंश