*भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में प्रदेश के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार स्व. सन्त राम वत्स्य की जन्मशताब्दी समारोह का आयोजन किया गया*
*भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में प्रदेश के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार स्व. सन्त राम वत्स्य की जन्मशताब्दी समारोह का आयोजन किया गया*
पालमपुर, भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा पालमपुर के चौधरी सरवान कुमार कृषि विश्वविद्यालय के सभागार में प्रदेश के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार स्व. सन्त राम वत्स्य की जन्मशताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। कृषि विश्वविद्यालय के डीन डॉ. डी. के. वत्स मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। कार्यक्रम में स्व. सन्त राम के परिजन उनकी तीन पुत्रियाँ पुत्र व दोहता विशेष उपस्थित रहे। विभाग के निदेशक पंकज ललित ने इनका स्वागत हिमाचल की परंपरा के अनुरूप शॉल टोपी पहनाकर किया।
मुख्य अतिथि डॉ. डी. के. वत्स ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य की ऐसी विधा है जो सबको आपस में जोड़ती है। आज की युवा पीढ़ी को ऐसे महान साहित्यकारों से प्रेरणा लेते हुए सीखना चाहिए। सन्त राम वत्स्य जिला कांगडा से संबंध रखते थे। इन्होनें लगभग 150 पुस्तकें लिखी जिसमें 10 उपन्यास भी जो बहुत चर्चित रहे।
रचना साहित्य कला मंच के अध्यक्ष व प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सुशील कुमार फुल्ल ने
संतराम वत्स्य के व्यक्तित्व एवं कृतित्व तथा प्रकाशन की समस्याओं पर पत्र प्रस्तुत किया। प्रदेशभर से आए साहित्यकारों ने भी परिचर्चा में भाग लिया इसमें सिरमौर से चिरानन्द शास्त्री, बिलासपुर से जय नारायण कांगड़ा से प्रभात शर्मा ,डॉक्टर प्रत्यूष गुलेरी, रमेश मस्ताना, आशु फुल मंडी से गंगाराम राजी, कृष्ण महादेविया प्रमुख रहे। भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक पंकज ललित कहा कि विभाग भविष्य में भी प्रदेश के अन्य साहित्यकारों की याद में इस तरह के आयोजन करेगा।
कार्यक्रम में स्व0 संतराम वत्स्य की बेटियां प्रेमलता वात्स्यायन, स्वर्णलता, कुसुम लता तथा बेटा डॉ भारतेन्दु, संकल्प उपस्थित रहे तथा अपने विचार भी साझां किये। विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित, सहायक निदेशक अलमा कैंथला, ज़िला भाषा अधिकारी अमित गुलेरी, भाषा अधिकारी सरोजना, विपिन कुमार तथा साहित्य कला मंच के सदस्य कार्यक्रम में उपस्थित रहे।