हिमाचल देश का एक ऐसा राज्य है जहां पर केरल के बाद शायद सबसे अधिक वर्षा होती है।
यहां पर पिछले कुछ वर्षों से कंकरीट रोड बनाने का दस्तूर शुरू हो गया है जो कि हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में बिल्कुल भी सफल नहीं हुआ है ।हां यह बात अलग है कि ऑफिसरों की नजर में यह कमी उन्हें नजर नहीं आ रही है। लेकिन जो लोग दुपहिया वाहन या छोटी गाड़ियों में चलते हैं उन्हें इस से हो रही परेशानी तथा दिक्कतों का पूरा पूरा एहसास है ।
कभी यह लोग जो कंक्रीट रोड और u shape बना रहे हैं छोटी गाड़ियों में या दोपहिया वाहनों में सफर करके देखें तो इन्हें पता चल जाएगा कि सचमुच u shape ड्रेन और यह कंक्रीट रोड दोपहिया वाहनों के लिए और छोटी गाड़ियों के लिए आफत के समान हैं। यह रोड सिर्फ 1 साल के भीतर ही अपना स्तर छोड़ देती हैं बीच-बीच में गड्ढे पड़ जाते हैं तथा इस पर गाड़ियों की टीयर बीयर ज्यादा हो जाती है। टायर बहुत अधिक घिसते हैं और चालकों बहुत झटकों का सामना करना पड़ता है।
यह रोड बिल्कुल भी स्मूथ नहीं होते और ना ही इन्हें आसानी से रिपेयर किया जा सकता है क्योंकि अगर आप किसी गड्ढे में पैैच लगाएंगे तो यह महीने 2 महीने में निकल कर बाहर आ जाएगा ।इसी तरह से रोड के साइड में बनाई जा रही यू शेप की ड्रेन भी दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं। क्योंकि दुपहिया वाहनों या छोटी गाड़ियों के चालक से अगर थोड़ी सी चूक जाएं तो यह उनकी गाड़ी सीधे यू शेप ड्रेन में घुस जाती हैं और गाड़ी का बहुत नुकसान करती हैं। इतना ही नहीं यू शेप की ड्रेन बनने से रोड की चौड़ाई 4 फुट तक कम हो जाती है। और गहरी गहरी यू शेप की नालियां दुर्घटनाओं को सरेआम निमंत्रण देती हैं ।विशेष रूप से महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
अगर इस यू शेप की ड्रेन में अगर किसी की गाड़ी चली जाए या उनका टायर नाली में चला जाए तो उसका हजारों का नुकसान होता है। दूसरे इस तरह के कंक्रीट और यू शेप ड्रेन से गाड़ियों की स्पीड बहुत कम हो जाती है तथा पेट्रोल की खपत बढ़ जाती है और विदेशी मुद्रा का बहुत नुकसान होता है अंततः यह देश की आर्थिकी के लिए घातक है ।
क्या सम्बंधित उच्चतम अधिकारी इस विषय पर गौर करेंगे कि वह V shape ड्रेन बनाएं और कंक्रीट रोड ना बनाए कंक्रीट की जगह कोलटार की रोड बनाये ताकि चालकों को सुविधा रहे और बीमार तथा अन्य लोगों को असुविधा का सामना ना करना पड़े। दुर्घटनाओं में कमी हो तथा उसके मेंटेनेंस भी कम हो। देश की आर्थिकी और समय का नुकसान ना हो।
क्या जनता की सुविधा और देश के नफे नुकसान के बारे में सोचना अधिकारियों का कार्य नहीं है ?यह उनके कार्य क्षेत्र से बाहर है ?नेता लोग तो इस पर नहीं सोचेंगे क्योंकि यह उनका विषय नहीं है ना ही उन्हें फुर्सत होती है कोई भी बड़ा अधिकारी किसी स्कूटी या 800 में इन रोड्स पर चल कर देखें उन्हें असुविधा और इनकी कमियां स्वयं नजर आ जाएंगी।
परंतु शायद अधिकारी इस बात को कभी समझेंगे नहीं क्योंकि वह तो हमेशा बड़ी-बड़ी गाड़ियों में चलते हैं तथा उनके साथ सरकारी ड्राइवर होता है तो अगर वह खुद गाड़ी चलाएं तब उन्हें पता चलेगा कि दिक्कतें क्या होती हैं ।
कंकरीट रोड सफल नहीं है