*हवाई सफर : लेखक उमेश बाली*
हवाई सफर
एक मिथ है जनता में कि हवाई सफर अमीर लोगो के लिए एक glamourous और luxurious यात्रा है । जहां तक मैने महसूस किया कि यह एक उबाऊ और मजबूरी में किया गया सफर होता है समय की बचत के लिए या फिर दूर दराज के देशों में जाने के लिए जहां जानें के और साधन नही है। जहाज में अपको वो सारी सुविधाएं मिलती है जो किसी रेल में मिलती हैं अंतर इतना है कि आम तौर पर हवाई यात्रा में आपको गंदगी का सामना नही करना पड़ता , लेकिन वो आप भारत में ऐसी रेलों में भी मिल जायेगा जो luxurious है । लेकिन हवाई सफर हर गिज luxurious नही माना जा सकता । आप को एक स्थिति में 15 घंटे का सफर करना पड़ सकता है , ट्रेन की तरह चहल कदमी नही कर सकते न ट्रेन की तरह आपको नजारे दिखाई देते हैं । अधिकतर उड़ान बादलों के उपर होती है जहां बादल न भी हो तो नीचे समुद्र दिखाई देता है या जमीन ऐसी दिखाई देती है जैसे पटवारी के लट्ठे पर लकीरें मारी होती है । लंबी देर तक खिड़की से आप बाहर नही देख सकते क्योंकि खिड़की से बाहर देखने के लिए झुकना पड़ता हैं । बिज़नेस क्लास की सीटें थोड़ी बडी और खुली होती है और बडी सीट पर केवल एक आदमी बैठता है वो जरा बेहतर स्थिति में होते हैं । लेकिन आम या इकोनॉमी क्लास में तीन सीटें साथ होती हैं और आप अधिक पैर भी नही पसार सकतें और अधिक फैल कर बैठ नही सकते । टॉयलेट्स साफ़ सुथरी होती है ,tissu papers की कोई कमी नहीं । आपकों शेव करने के लिए डिस्पोजेबल रेजर भी मिल जायेंगे और टूथ ब्रश पेस्ट भी । खैर अब आता हूं उस बात पर जिससे लोग आकर्षित होते है air hostess की नौकरी पर । यह भी फिल्मों में एक मिथ दिखाया जाता है कि बडी ग्लेमर पूर्ण जिंदगी होती है । ऐसा कुछ नही हैं। जवान लड़कियां होती है और सुंदर होती हैं जैसी हम आम तौर पर जमीन पर देखते हैं । कोई असाधारण नही होती । आम बहु बेटियों या बहनों की तरह ही होती हैं , लेकिन उनकी नौकरी हरगिज आकर्षित नही है । यह सब ठीक वैसे ही किसी प्रतिष्ठान या होटल में कोई रिसेप्शनिसट आप का मुस्करा कर हाथ जोड़ कर स्वागत करता है । पूरी फ्लाइट में के समय में पानी से लेकर खाने तक आपके लिएं जिम्मा उनका होता है । वो बेचारी आपको खाना ही नही परोसती अपितु आपकी तकलीफ़ का ध्यान भी रखती हैं , अगर सफर में कोई तकलीफ़ हो जाएं तो नर्स की तरह आपका ख्याल रखना उनके जिम्मे होता है । खतरे के समय आखिर तक आपका होंसला बनाए रखने की पूरी कोषिश करती हैं। वो आपके खाली गिलास जूठे डिस्पोजेबल प्लेट्स भी इक्कठा करती हैं । आपकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ती । यह इनसान का गधा पन है कि कुछ लोग उनके बारे में गलत धारणाएं रखते हैं , उनसे गलत व्यवहार करते हैं और समाज में अपनी गलत और गन्दी मानसिकता की बदबू फैलाते है। अगर कोई आगे पहली बार यात्रा पर जाए तो इस यात्रा को luxurious नही समझे अपितु एक समय की बचत के रुप में ले । एक बात है दुनियां भर के हवाई अड्डे बहुत साफ सुथरे और और luxurious दिखाई देते हैं । आपकों बहुत बडी साफ़ सुथरी दुकानें और रेस्टुरेंट अंदर ही मिल जायेंगे। एयर इंडिया वैसे तो भारतीय है लेकिन मुझे कुछ अभाव लगा शायद जहाज वो कहानी बता रहे थे कि सरकारी लायरवाही क्या होती है । सुधारों की गुंजायश हमेशा बनी रहती है और मैं समझता हूं अभी बहुत सुधार होगा । दुसरा वो स्टाफ अभी कम अनुभवी लगा जिनसे आप फोन पर कोई जानकारी चाहते हैं और वो जानकारी देने में असमर्थ होते हैं । फिर भी सफर गुज़र जाता है , थकान होती है , कुछ रोमांच भी होता है तब और रोमांच हो जाता है जब खराब मौसम मे रास्ते में कहीं कुछ मामूली से झटके महसूस होते हैं। जो लोग एक या दो पैग व्हिस्की या वाइन के लेते हैं वो अच्छे रहते हैं । दो पैग और खाना खा कर नींद में काफी सफर गुजर जाता हैं। स्वाद अपना अपना होता है खाना करीब अच्छा होता है । अगर कोई साथी आपकी पत्नी या दोस्त साथ हो तो सफर काटने मे आसानी होती हैं । टीवी लगे होते हैं आप फिल्म देख सकते हैं और अपना सफर काट सकते हैं ।
धन्यवाद । उमेश बाली ।