Mandi /Chamba /KangraHimachal

Agriculure university :*मानव जीवन में पशुओं की अहम भूमिका: कुलपति डाॅ.डी.के.वत्स*

1 Tct

मानव जीवन में पशुओं की अहम भूमिका: कुलपति डाॅ.डी.के.वत्स

Tct chief editor

कृषि विश्वविद्यालय में छोटे पशुओं के हृदय रोग चिकित्सा पर दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न

पालमपुर 23 नवंबर। चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के डाक्टर जी.सी.नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय में ‘‘ छोटे पशु इकोकार्डियोग्राफी और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी‘‘ पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला वीरवार को संपन्न हुई।
23 प्रशिक्षुओं, अन्य वैज्ञानिकों और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, मुख्य अतिथि कुलपति डाक्टर डी.के. वत्स ने प्रसन्नता व्यक्त की कि यह अच्छा प्रशिक्षण है जिसमें पशु चिकित्सा पेशेवरों के नैदानिक निदान कौशल में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्हें अल्ट्रासोनोग्राफी परीक्षा तकनीकों का व्यावहारिक अनुभव दिया गया। उन्होंने कहा कि हृदय की संरचना और कार्य का मूल्यांकन करने में इस तरह के तकनीकी प्रशिक्षण विशेषज्ञों के पेशेवर कौशल को तेज करने और उन्हें व्यापक पेशेवर बातचीत का अवसर प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि जानवर मानव जीवन का एक अभिन्न अंग हैं जो हमारे जीवन की रोजमर्रा की जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेषज्ञों द्वारा नई तकनीक के साथ गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करना और जानवरों की अच्छी देखभाल करना महत्वपूर्ण है। कुलपति ने प्रशिक्षुओं को नए अर्जित कौशल और ज्ञान को सह पेशेवरों के साथ साझा करने की भी सलाह दी। उन्होंने प्रशिक्षण के आयोजन के लिए पशु चिकित्सा सर्जरी और रेडियोलॉजी विभाग की सराहना की और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए।
कुलपति ने डाक्टर जी.सी.नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय को इन्फ्यूजन पंप प्रदान करने के लिए फरीदाबाद के विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र डॉ. मनीष कुमार की भी सराहना की।
पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. आदर्श कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण में देश के प्रतिष्ठित पेशेवरों और उभरते पशु चिकित्सा निजी चिकित्सकों ने भाग लिया। उन्होंने इस प्रशिक्षण के लिए विश्वविद्यालय के साथ सहयोग करने के लिए ‘‘लघु पशु पशुपालन चिकित्सा संघ‘‘ नई दिल्ली का आभार व्यक्त किया। प्रशिक्षण आयोजन अध्यक्ष डाॅ. एस.पी. त्यागी ने बताया कि प्रशिक्षण में विभिन्न राज्यों के प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि प्रत्येक प्रतिभागी को वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की देखरेख में नैदानिक रोगियों पर तकनीकों का अभ्यास करने का पर्याप्त अवसर दिया गया। डॉ. दीप्ति बोध एवं अमित सिंगला ने भी अपने विचार व्यक्त किये। प्रतिनिधियों ने प्रशिक्षण की गुणवत्ता के लिए विश्वविद्यालय को धन्यवाद दिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button