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*Editorial,:-सरकार_ने_लगाए_6_राज्यपाल_एस_अब्दुल_नजीर_की_नियुक्ति_पर_उठ_रहे_है_सवाल :-महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*

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14 फरवरी 2023- (#सरकार_ने_लगाए_6_राज्यपाल_एस_अब्दुल_नजीर_की_नियुक्ति_पर_उठ_रहे_है_सवाल)-

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केन्द्रीय सरकार ने रविवार को 6 नये राज्यपाल लगाने की अधिसूचना जारी की है। राज्यपाल लगाना सरकार का अपना विशेषाधिकार है, लेकिन इनमे से नियुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस अब्दुल नजीर जिन्हे आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है की नियुक्त पर प्रश्न खड़े किए जा रहे है। बहस का विषय है कि क्या सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को इस तरह के लाभ और सुख-सुविधाओं वाले पद दिए जाना उचित है। क्या इस प्रकार की प्रथा के कारण जज रहते हुए उनकी निष्पक्षता सन्देह के घेरे से बाहर रह सकती है। प्रश्न करने वालो का कहना है कि सेवानिवृत्त के बाद मिलने वाली नियुक्ति के आकर्षण मे फैसले प्रभावित हो सकते है। इस प्रकार की नियुक्तियों का विरोध करने वालो मे अग्रणी है सासंद और कांग्रेस नेता जय राम रमेश। उन्होने अपनी बात के समर्थन मे दिग्गज भाजपा नेता स्वर्गीय अरूण जेटली के उस ऐतिहासिक भाषण का जिक्र किया जो उन्होने संसद मे देते हुए कहा था कि जजों की सेवानिवृत्ति के बाद नियुक्तियां स्वतंत्र न्यायिक पालिका के लिए खतरा है और इन्हे बंद किया जाना चाहिए।

स्मरण रहे एस अब्दुल नजीर सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ के सदस्य थे जिस पीठ ने अयोध्या मे बनने वाले राम मंदिर निर्माण के बारे ऐतिहासिक फैसला दिया था। काबिले गौर है कि नजीर उस पीठ के तीसरे जज है जिन्हे सरकार ने मनोनीत किया है। इससे पहले पीठ के मुख्य न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को राज्यसभा मे मनोनीत किया गया था। इस प्रकार पीठ के एक अन्य सदस्य जस्टिस अशोक भूषण को नेशनल कंपनीज लाॅ आपिलेंट ट्रब्यूनल का चेयरमैन बनाया गया था। मैने भी तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और देश के जाने माने कानून विद रहे स्वर्गीय अरूण जेटली का वह तर्क संगत भाषण सुना था। मेरी समझ मे जेटली का यह कहना कि स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था के लिए जजों को सेवानिवृत्त के बाद गैर न्यायिक नियुक्तियां नहीं मिलनी चाहिए, बिल्कुल सही था।

Mohinder Nath Sofat Ex.Minister HP Govt.

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।

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