13 जनवरी 2024–(#राम_मंदिर_प्राण_प्रतिष्ठा_का_निमंत्रण_कांग्रेस_सहित_अधिकांश_गैर_भाजपा_राजनेताओ_ने_ठुकराया)-
Tct chief editor
अयोध्या मे 22 जनवरी को राम मंदिर मे रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट की ओर से देश के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, विभिन्न दलों के नेताओ और धार्मिक संतो को न्यौता दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन मे शामिल अधिकांश दलो ने इस निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है। मेरी समझ मे उनका निमंत्रण को स्वीकार न करने के निर्णय को भाजपा एक हथियार बना कर यह प्रचारित कर सकती है कि इंडिया गठबंधन सनातन विरोधी है। भाजपा उनकी अस्वीकृति को अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के साथ जोड़कर पेश कर सकती है। हालंकि गैर भाजपा दलो ने न्यौता ठुकराने का निर्णय अपने विवेक से लिया है लेकिन विश्लेषक इस निर्णय को आत्मघाती बता रहे है। वह भाजपा और संघ परिवार के लिए स्वयं मैदान खाली छोड़ रहे है।जब कि भाजपा अपनी रणनीति और लक्ष्य को लेकर पूरी तरह स्पष्ट है। राम मंदिर निर्माण उनके एजेंडे का प्रमुख बिन्दु रहा है और भाजपा और संघ परिवार ने इसके लिए कड़ा संघर्ष किया है। हिमाचल पालमपुर की राष्ट्रीय कार्यसमिति मे इसको भाजपा ने औपचारिक तौर पर अपने एजेंडे मे शामिल कर लिया था। अब भाजपा पूरी तरह सक्रिय है और इसके निर्माण का श्रेय लेने के लिए आतुर है।
कांग्रेस द्वारा निमंत्रण ठुकराए जाने के बाद मंदिर निर्माण के श्रेय का कोई दावेदार भी नही बचा है, लेकिन सन्दर्भ मे हिमाचल के युवा लोक निर्माण मंत्री एवम कांग्रेस नेता विक्रमादित्य जो कि कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के पुत्र भी है के स्टैंड की हर- तरफ तारीफ हो रही है। उन्होने कहा की इस कार्यक्रम मे जाना मेरे लिए राजनीतिक विषय नही है अपितु एक सनातनी होने के नाते वहां उपस्थित रहना मेरा कर्तव्य है। उन्होने अपने पिता को राम मंदिर आन्दोलन का समर्थक बताया और यह कहा कि स्वर्गीय वीरभद्र जी ने मंदिर निर्माण के लिए अपने निजी कोष से राशि भी दान की थी। उन्होने निमंत्रण के लिए विश्व हिन्दु परिषद एवम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आभार भी प्रकट किया है। मेरे विचार मे विक्रमादित्य का स्टैंड भले पार्टी लाइन से हट कर है लेकिन हिम्मत और परिपक्वता के साथ लिया गया है।